वेदप्रताप वैदिक : वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर चलने वाली झूठी खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई

By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 6, 2021 10:42 AM2021-09-06T10:42:56+5:302021-09-06T10:45:40+5:30

अदालत ने कहा है कि संचार के इन माध्यमों का इतना जमकर दुरुपयोग हो रहा है कि उससे सारी दुनिया में भारत की छवि खराब हो रही है. 

supreme court expresses serious concern over fake news running on web portals and you tube channels | वेदप्रताप वैदिक : वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर चलने वाली झूठी खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई

झूठी खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई

Highlightsअदालत ने कहा है कि संचार के इन माध्यमों का इतना जमकर दुरुपयोग हो रहाइससे सारी दुनिया में भारत की छवि हो रही है खराब वेब पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों के बारे में आचरण संहिता लागू होनी चाहिए

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में वेब पोर्टल्स और यू ट्यूब चैनलों पर चल रहे निरंकुश स्वेच्छाचार पर बहुत गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अदालत ने कहा है कि संचार के इन माध्यमों का इतना जमकर दुरुपयोग हो रहा है कि उससे सारी दुनिया में भारत की छवि खराब हो रही है. 

देश के लोगों को निराधार खबरों, अपमानजनक टिप्पणियों, अश्लील चित्नों और सांप्रदायिक प्रचार का सामना रोजाना करना पड़ता है. यह राय भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमणा ने उस याचिका पर बहस के दौरान प्रकट की जो जमीयते-उलेमा-ए-हिंद ने लगाई थी.

अदालत ने सरकार से कहा है कि जैसे अखबारों और टीवी चैनलों के बारे में सरकार ने आचरण संहिता और निगरानी-व्यवस्था कायम की है, वैसी ही व्यवस्था वह इन वेब पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों के बारे में भी करे. जाहिर है कि यह काम बहुत कठिन है. 

जहां तक अखबारों और टीवी चैनलों का सवाल है, वे आत्म-संयम रखने के लिए स्वत: मजबूर होते हैं. यदि वे अपमानजनक या अप्रामाणिक बात छापें या कहें तो उनकी छवि बिगड़ती है, दर्शक-संख्या और पाठक-संख्या घटती है, विज्ञापन कम होने लगते हैं और उनको मुकदमों का भी डर लगा रहता है. 

लेकिन वेब पोर्टल्स या यू ट्यूब चैनलों  के साथ ऐसी बात नहीं है. जबकि करोड़ों लोग इन साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार को अपने तकनीकी विशेषज्ञों को सक्रि य करके ऐसी विस्तृत नियमावली तैयार करनी चाहिए कि एक भी मर्यादाहीन शब्द इन संचार साधनों पर न जा सके और यदि चला जाए तो दोषी व्यक्ति के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान किया जाए. 

इसका अर्थ यह नहीं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्नता पर पाबंदियां लगा दी जाएं और नागरिकों पर सरकार अपनी तानाशाही थोप दे. लेकिन नागरिकों को भी सोचना होगा कि वे मर्यादा का पालन कैसे करें. संचार-साधनों का यह दुरुपयोग नहीं रुका तो वह कभी भी किसी बड़े सांप्रदायिक दंगे, तोड़-फोड़, आगजनी और हिंसा का कारण बन सकता है.

Web Title: supreme court expresses serious concern over fake news running on web portals and you tube channels

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