सुप्रीम कोर्ट ने PM-CARES फंड के खुलासे की मांग करने वाली याचिका को किया खारिज

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 25, 2022 02:10 PM2022-03-25T14:10:13+5:302022-03-25T14:19:25+5:30

सुप्रीम कोर्ट में PM-CARES फंड के ऑडिट के मामले दायर हुई एक याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो संबंधित याचिका के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं और मामले में समीक्षा याचिका दायर करें।

Supreme Court dismisses plea seeking disclosure of PM-CARES Fund | सुप्रीम कोर्ट ने PM-CARES फंड के खुलासे की मांग करने वाली याचिका को किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने PM-CARES फंड के खुलासे की मांग करने वाली याचिका को किया खारिज

Highlightsयाचिका में PM-CARES की जांच भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से कराने की मांग की गई थीकोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि यह याचिका PM-CARES फंड की वैधता के विषय में हैसुप्रीम कोर्ट पूर्व में भी PM-CARES फंड से जुड़ी कई याचिकाओं को खारिज कर चुका है

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें मोदी सरकार को PM-CARES फंड के खातों और  उसके द्वारा किये गये खर्च के ब्योरे का खुलासा करने और इसे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा ऑडिट कराये जाने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के सुनवाई करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने याचिकाकर्ता से इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने और मामले में समीक्षा याचिका दायर करने को कहा।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अपनी दलील में कहा कि यह याचिका PM-CARES फंड की वैधता और उसके द्वारा खर्च किये गये धन के विषय में है।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीपीआईएल (सुप्रीम कोर्ट के फैसले) पर भरोसा करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है और कहा कि हाईकोर्ट द्वारा केवल फैसले पर भरोसा करना सही फैसला नहीं है।

बेंच ने कहा, "आप सही हो सकते हैं कि हाईकोर्ट ने सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया हो। लेकिन हमें यह भी नहीं पता कि आपने हाईकोर्ट में अपने पक्ष में क्या तर्क दिया था आप हाईकोर्ट के पैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दर्ज करें।

मालूम हो कि PM-CARES के खिलाफ दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि हाईकोर्ट ने इस मामले को खारिज करते समय मुद्दे से संबंधित तथ्यों का सही संज्ञान नहीं लिया है।

कोर्ट के याचिका के खारिज करने का आधार मात्र यह था कि यह सीपीआईएल के फैसले में पहले ही स्पष्ट है, इसलिए इस पर विचार की गुंजाईश नहीं है।

वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने इस याचिका को पुनः हाईकोर्ट में ले जाने और बहस करने के लिए एसएलपी याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी है। इसके साथ ही यह भी मांग की गई अगर हाईकोर्ट द्वारा मामले में संतोषजनक फैसला नहीं आता है तो याचिकाकर्ता बाद में इस मुद्दे को लकेर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दोबारा पेश हो सके।

जानकारी के मुताबिक इससे पूर्व वकील दिव्या पाल सिंह द्वारा दायर की गई अपील में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 31 अगस्त 2020 के फैसले को चुनौती दी गई थी। सिंह ने आरोप लगाया कि "PM-CARES फंड में जनता के अकल्पनीय और अथाह मात्रा में पैसे को हर रोज बेरोकटोक पंप किया जाता है।"

मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2020 को दिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर एनजीओ सीपीआईएल द्वारा PM-CARES फंड के सीएजी ऑडिट के लिए दियार की गई एक याचिका को खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए PM-CARES फंड में किए गए योगदान को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) में स्थानांतरित करने का आदेश को यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि दोनों फंड अलग-अलग उद्देश्य के लिए बने हैं।  

Web Title: Supreme Court dismisses plea seeking disclosure of PM-CARES Fund

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