सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (सात फरवरी) को गोवा के सभी खदानों में चल रहे खनन को 15 मार्च तक बंद करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला खनन घोटले से जुड़े एक केस में सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन्वायरमेंट नियमों का उल्लंघन मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकार इस मामले में नए सिरे से नीलामी करे और फिर से लाइसेंस दे।
गौरतलब है कि गोवा फाउंडेशन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायरा की गई है। बता दें कि उस समय की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने 88 खदानों का लाइसेंस गलत तरीके से दिए थे।
जनवरी 2018 में गोवा पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिगंबर कामत के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है। चार्जशीट में कहा गया है कि उन्होंने जानबूझकर लाइसेंस रीन्यू करने में देरी की जिसके कारण सरकार की आय में कमी आई। सितंबर 2014 में एसआईटी (स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम) ने माइनिंग डिपार्टमेंट के कंप्लेन के आधार पर भी एक केस दायर किया था कामत के खिलाफ। कामत की खुद की भी माइनिंग की कंपनी है।
पूर्व सीएम दिगंबर कामत पर 35000 करोड़ रुपए के अवैध खनन का आरोप है। सेवानिवृत्त न्याधीश एमबी शाह आयोग की रिपोर्ट ने इस घोटाले का खुलासा किया था। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के आदेश के मुताबिक, अब नई नीति के तहत खदानों का फिर से आवंटन किया जाएगा। इसके लिए नई खदानों को फिर से पर्यावरणीय मंजूरी लेनी होगी।