नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 वैक्सीन को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोर्ट यह भी कहता है कि वह संतुष्ट है कि मौजूदा वैक्सीन नीति को अनुचित और स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट का ये भी कहना है कि सरकार नीति बना सकती है और जनता की भलाई के लिए कुछ शर्तें लगा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा लगाई गई शर्त, सार्वजनिक स्थानों पर गैर-टीकाकरण वाले लोगों की पहुंच को प्रतिबंधित करने वाले संगठन आनुपातिक नहीं हैं और वर्तमान मौजूदा परिस्थितियों में वापस बुलाए जाने चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कोविड-19 टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभावों पर डेटा सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है। वहीं, कोर्ट का कहना है कि संविधान के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है और किसी को भी टीकाकरण कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में वैक्सीन को अनिवार्य बनाने के खिलाफ और क्लीनिकल डेटा सार्वजनिक करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह टीकाकरण ( NTAGI) के पूर्व सदस्य डॉ जैकब पुलियल ने याचिका दाखिल की है। इसके अलावा कोर्ट में दिल्ली, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कोविड वैक्सीन अनिवार्य करने के खिलाफ अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा कहा गया कि टीकाकरण स्वैच्छिक है। मगर इसे राज्यों ने कुछ उद्देश्यों के लिए अनिवार्य कर दिया है। इस जनादेश को असंवैधानिक घोषित करने के निर्देश जारी करें।