सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र के बीच शक्तियों के बंटवारे से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए गठित किया संवैधानिक बेंच

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 22, 2022 07:30 PM2022-08-22T19:30:03+5:302022-08-22T19:34:54+5:30

चीफ जस्टिस एनवी रमण ने देश की राजधानी दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विधायी और कार्यकारी शक्तियों के बंटवारे के संबंध में सुनवाई के लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ बनाई है।

Supreme Court constitutes a Constitutional Bench to hear the matter of sharing of powers between Delhi and the Center | सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र के बीच शक्तियों के बंटवारे से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए गठित किया संवैधानिक बेंच

फाइल फोटो

Highlightsदिल्ली और केंद्र सरकार के बीच शक्तियों के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच बनाया यह बेंच केंद्र-दिल्ली के बीच विधायी और कार्यकारी शक्तियों के बंटवारे को रेखांकित करेगाचीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा पांच जजों के संवैधानिक बेंच की अगुवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ करेंगे

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे अधिकारिकों और शक्तियों के बंटवारे के मुद्दे पर सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच के गठन किया है। सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में सोमवार को कहा कि राजधानी दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और दिल्ली की सरकार के बीच विधायी और कार्यकारी शक्तियों के बंटवारे के संबंध में सुनवाई के लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ बना रहे हैं।

इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुनवाई करने वाली संवैधानिक बेंच की अगुवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ करेंगे और केंद्र-दिल्ली के बीच शक्तियों के बंटवारे को लेकर पैदा हो रहे द्वंद पर व्यापक रूप से विचार किया जाएगा। इस मामले का जिक्र एक वकील ने बेंच के सामने किया, जिसमें जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल थे।

मालूम हो कि बीते 6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे को सुनवाई के लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "मौजूदा बेंच को सुनवाई के लिए सीमित मुद्दा भेजा गया है, वह टर्म सर्विसेज के संबंध में केंद्र और एनसीटी दिल्ली की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित है। इस अदालत की संविधान पीठ, अनुच्छेद 239AA(3)(a) की व्याख्या करते हुए संविधान के, राज्य सूची में प्रविष्टि 41 के संबंध में उसी के शब्दों के प्रभाव की विशेष रूप से व्याख्या करने का कोई अवसर नहीं मिला है।"

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण और संशोधित जीएनसीटीडी अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता और व्यापार नियमों के लेनदेन को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की दो अलग-अलग याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई करने की मांग की थी। दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि केंद्र का जीएनसीटीडी अधिनियम, 2021 कथित तौर पर दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देता है, जो संवैधानिक मर्यादा के अनुसार चुनी हुई सरकार के अधिकारों में बाधा पहुंचा रहे हैं।

दिल्ली और केंद्र की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ''ऐसे में एक आधिकारिक घोषणा के लिए उपरोक्त सीमित मुद्दे को हम संविधान पीठ के पास भेजना उचित समझते हैं।"

संविधान का 239एए का उप-अनुच्छेद 3 (ए) दिल्ली सरकार के दर्जे और शक्तियों की बात करता है। यह राज्य सूची या समवर्ती सूची में उल्लिखित मामलों पर कानून बनाने के दिल्ली विधानसभा के अधिकार से संबंधित है। उससे पहले 14 फरवरी 2019 को दिल्ली सरकार की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस भूषण की बेंच ने इस विवाद में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश से तीन जजों की बेंच बनाकर सुनवाई की सिफारिश की थी। जिसमें दोनों जजों की ओर से कहा गया था कि तीन जजों की बेंच ही केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच शक्तियों के विभाजन को अंतिम रूप से तय करने के लिए स्थापित किया जाए।

जस्टिस भूषण ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार के पास सभी प्रशासनिक सेवाओं का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि जस्टिस सीकरी ने जस्टिस भूषण से अगल राय रखी थी। जस्टिस भूषण ने कहा था कि दिल्ली में नौकरशाही (संयुक्त निदेशक और ऊपर) के शीर्ष पदों पर अधिकारियों का स्थानांतरण या पोस्टिंग केवल केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है और अन्य नौकरशाहों से संबंधित मामलों पर मतभेद की स्थिति में लेफ्टिनेंट गवर्नर का विचार अंतिम और मान्य होगा।

उससे पहले साल 2018 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्मति से कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह से बंधे हैं, और दोनों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Supreme Court constitutes a Constitutional Bench to hear the matter of sharing of powers between Delhi and the Center

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