उच्चतम न्यायायल ने धोखाधड़ी के मामले में बैंक शाखा प्रबंधक को बरी किया
By भाषा | Updated: December 13, 2021 23:52 IST2021-12-13T23:52:00+5:302021-12-13T23:52:00+5:30

उच्चतम न्यायायल ने धोखाधड़ी के मामले में बैंक शाखा प्रबंधक को बरी किया
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वर्ष 1994-95 में ग्रामीण बैंक की एक शाखा से कथित तौर पर धोखाधड़ी कर 10 लाख रुपये की निकासी की जांच को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के खिलाफ सख्त टिप्पणी की और आरोपी शाखा प्रबंधक को यह कहते हुए बरी कर दिया कि ''सीबीआई ने या तो जांच में ढुलमुल रवैया अपनाया या निष्पक्ष जांच को पटरी से उतारने के लिए कोई दबाव था।''
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के 2009 के फैसले के खिलाफ तत्कालीन शाखा प्रबंधक एन. राघवेंद्र की अपील को स्वीकार कर लिया।
उच्च न्यायालय ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश, हैदराबाद के 2002 के फैसले के खिलाफ दायर आपराधिक अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें राघवेंद्र को धोखाधड़ी और कई अन्य अपराधों का दोषी ठहराया गया था और उन्हें पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, दो अन्य आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, ''हमें यह मानने में कोई कठिनाई नहीं है कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता के खिलाफ धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 477 ए (खातों का मिथ्याकरण) के तहत आरोपों को साबित करने में विफल रहा है।''
शीर्ष अदालत ने आरोपी शाखा प्रबंधक को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
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