#KuchhPositiveKarteHain: बेहद रहस्यमयी तरीके से जला दिया गया था देश की ख़ातिर फांसी के फंदे को चूमने वाले इस शहीद के शरीर को
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 15, 2018 11:30 AM2018-05-15T11:30:55+5:302018-05-15T11:30:55+5:30
Sukhdev Birthday: सुखदेव थापर लाहौर के नेशनक कॉलेज में बतौर अध्यापक पढ़ाया करते थे. सुखदेव ने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी जिसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों से देश को आजाद करना था.
सुखदेव थापर जो शहीद सुखदेव के नाम से जाने जाते हैं, उनका जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा गाँव में हुआ था। उनके माता - पिता का नाम रामलाल और राल्ली देवी था। सुखदेव बहुत छोटे थे जब उनके पिता की मृत्यु हुई थी और उनका पालन पोषण उनके चाचा लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण ने किया था.
जवान होने पर सुखदेव ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ सक्रीय क्रांतिकारी दलों को ज्वाइन कर लिया। इस दौरान सुखदेव पंजाब के लाहौर में नेशनल कॉलेज में बतौर अध्यापक नौकरी कर रहे थे और अपने अध्यापन के दौरान अपने सभी शिष्यों को देश के आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया करते थे.
कुछ दिनों के बाद सुखदेव ने स्वयं ही “नौजवान भारत सभा” की स्थापना कर ली जिसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ देश की आवाज़ बुलंद करना था. भगत सिंह और राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर असेंबली बम काण्ड में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद बदला ने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया था.
दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दे दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे।