Sukhbir Singh Badal Golden Temple: एक हाथ में भाला थामे, नीली वर्दी पहन सुखबीर सिंह बादल बने स्वर्ण मंदिर के 'सेवादार', देखें वीडियो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 3, 2024 14:54 IST2024-12-03T14:53:46+5:302024-12-03T14:54:25+5:30

Sukhbir Singh Badal Golden Temple: एक हाथ में भाला थामे, 'सेवादार' की नीली वर्दी पहने बादल अपनी व्हीलचेयर पर स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर काम करते दिखे।

Sukhbir Singh Badal Golden Temple Plaque Around His Neck Punishment Akali Dal leaders begin penance ‘mistakes’ see video | Sukhbir Singh Badal Golden Temple: एक हाथ में भाला थामे, नीली वर्दी पहन सुखबीर सिंह बादल बने स्वर्ण मंदिर के 'सेवादार', देखें वीडियो

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Highlightsपंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने बर्तन धोए।‘‘गलत कामों’’ को स्वीकार किया गया था।बादल और ढींढसा के गले में छोटे-छोटे बोर्ड लटकाए गए थे।

Sukhbir Singh Badal Golden Temple: सिख धर्मगुरुओं द्वारा सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किए जाने के एक दिन बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता ने मंगलवार को यहां स्वर्ण मंदिर के बाहर 'सेवादार' के तौर पर काम किया। एक हाथ में भाला थामे, 'सेवादार' की नीली वर्दी पहने बादल अपनी व्हीलचेयर पर स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर काम करते दिखे। उनका एक पैर टूटा हुआ है। अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को भी यही सजा मिली है। वह भी अधिक उम्र के कारण व्हीलचेयर पर थे जबकि पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने बर्तन धोए।

  

बादल और ढींढसा के गले में छोटे-छोटे बोर्ड लटकाए गए थे जिसमें उनके ‘‘गलत कामों’’ को स्वीकार किया गया था। दोनों नेताओं ने एक घंटे तक 'सेवादार' के रूप में काम किया। पंजाब में 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के कारण बादल और अन्य नेताओं के लिए 'तनखा' (धार्मिक दंड) की घोषणा करते हुए अकाल तख्त के सिख धर्मगुरु ने सोमवार को वरिष्ठ अकाली नेताओं को 'सेवादार' के रूप में सेवा करने, स्वर्ण मंदिर में बर्तन धोने और जूते साफ करने का निर्देश दिया था।

आदेश की घोषणा से पहले, सुखबीर बादल ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया, जिसमें पंजाब में शिअद के शासन के दौरान 2007 के ईशनिंदा मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ करना भी शामिल था। सुखबीर बादल को अकाल तख्त द्वारा तनखैया घोषित किए जाने के लगभग तीन महीने बाद यह सजा दी गई।

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अकाली नेताओं सुच्चा सिंह लंगाह, हीरा सिंह गाबड़िया, बलविंदर सिंह भूंदड़, दलजीत सिंह चीमा और गुलजार सिंह रणिके को तीन दिसंबर को दोपहर 12 बजे से एक बजे तक स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने और फिर स्नान करने के बाद सामुदायिक रसोई में बर्तन साफ ​​करने का निर्देश दिया था।

जत्थेदार ने कहा था कि वे एक घंटे तक 'कीर्तन' भी सुनेंगे। बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा, बिक्रम सिंह मजीठिया, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल, चरणजीत सिंह अटवाल और आदेश प्रताप सिंह कैरों सहित अन्य अकाली नेताओं को एक घंटे के लिए स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने के लिए कहा गया था। उन्हें पास के गुरुद्वारों में बर्तन साफ ​​करने का भी निर्देश दिया गया था।

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