प्रेम संबंध टूटने के बाद मानसिक सदमे के चलते की जाने वाली खुदकुशी उकसावे का मामला नहीं बनता, मुंबई अदालत ने पूर्व पुरुष मित्र को आत्महत्या पर महिला को बरी किया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 3, 2024 06:26 PM2024-03-03T18:26:21+5:302024-03-03T18:27:40+5:30

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘नैतिक रूप से...प्रेमी/प्रेमिका बदलना गलत है, लेकिन अगर कोई दंडात्मक कानून के प्रावधानों पर गौर करता है, तो उस पीड़ित के पास कोई उपाय नहीं है, जिसके/जिसकी साथी ने अपनी पसंद से दूसरे व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध कायम कर लिया हो।’’

Suicide caused due to mental shock after breakup not a case of provocation, Mumbai court acquits woman on suicide charge by ex-boyfriend | प्रेम संबंध टूटने के बाद मानसिक सदमे के चलते की जाने वाली खुदकुशी उकसावे का मामला नहीं बनता, मुंबई अदालत ने पूर्व पुरुष मित्र को आत्महत्या पर महिला को बरी किया

सांकेतिक फोटो

Highlightsकेनी अपने घर में 15 जनवरी 2016 को फंदे से लटके मिले थे।अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।साथी बेवजह रिश्ता तोड़ दे, तो वह भावनात्मक रूप से टूट जाता है।

मुंबईः मुंबई की एक अदालत ने अपने पूर्व पुरुष मित्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से एक महिला को बरी करते हुए कहा है कि प्रेम संबंध टूटने के बाद मानसिक सदमे के चलते की जाने वाली खुदकुशी की स्थिति में उकसावे का मामला नहीं बनता। अदालत ने कहा कि अपनी इच्छा और पसंद के अनुसार साथी बदलना ‘‘नैतिक रूप से’’ गलत है, लेकिन रिश्ते में अस्वीकृति का सामना करने वाले व्यक्ति के लिए दंडात्मक कानून के तहत कोई उपाय नहीं है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एन पी मेहता ने 29 फरवरी को ये टिप्पणियां कीं और मनीषा चुडासमा तथा उसके मंगेतर राजेश पंवार को बरी कर दिया। उन दोनों पर नितिन केनी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था। केनी अपने घर में 15 जनवरी 2016 को फंदे से लटके मिले थे।

उन्हें एक अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘नैतिक रूप से...प्रेमी/प्रेमिका बदलना गलत है, लेकिन अगर कोई दंडात्मक कानून के प्रावधानों पर गौर करता है, तो उस पीड़ित के पास कोई उपाय नहीं है, जिसके/जिसकी साथी ने अपनी पसंद से दूसरे व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध कायम कर लिया हो।’’

उन्होंने अपने आदेश में कहा कि भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 306 के अनुसार, आरोपी की ओर से आत्महत्या के लिए मजबूर करने संबंधी कोई उकसावा होना चाहिए। अदालत ने कहा, ‘‘कोई यदि किसी से प्यार करता है और उसका/उसकी साथी बेवजह रिश्ता तोड़ दे, तो वह भावनात्मक रूप से टूट जाता है।

यदि कोई प्रेम संबंध टूटता है और मानसिक सदमे के कारण उनमें से एक साथी आत्महत्या कर लेता है, तो उसका मामला भादंसं की धारा 306 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 107 के तहत नहीं बनेगा।’’ अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि चुडासमा और पंवार ने पीड़ित को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था जिससे वह आत्महत्या के लिए मजबूर हुए।

उन्होंने कहा कि चुडासमा के साथ केनी का प्रेम संबंध था, लेकिन उसने (चुडासमा ने) उन्हें छोड़ दिया और पंवार से सगाई कर ली। बचाव पक्ष ने दलील दी कि केनी, चुडासमा का पीछा कर रहा था और उसने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से दी गई गवाही से ऐसा प्रतीत होता है कि केनी ‘मानसिक रूप से परेशान’ था, और जैसे ही उसे चुडासमा के पंवार के साथ संबंधों के बारे में पता चला, वह अवसाद में चला गया। 

Web Title: Suicide caused due to mental shock after breakup not a case of provocation, Mumbai court acquits woman on suicide charge by ex-boyfriend

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