दलितों और आदिवासियों के लिए लड़ने वालों को निशाना बना रही है मौजूदा सरकार: सुधा भारद्वाज
By भाषा | Published: August 29, 2018 04:42 PM2018-08-29T16:42:44+5:302018-08-29T16:42:44+5:30
गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज इस समय अपने घरों में नजरबंद हैं। पुलिस ने पाँच एक्टिविस्टों को अलग-अलग शहरों से 28 अगस्त को गिरफ्तार किया।
नयी दिल्ली, 29 अगस्त; माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में गिरफ्तार ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज ने कहा है कि मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ बोलने वाले और दलितों एवं आदिवासियों के लिए लड़ने वाले लोगों को ‘‘मौजूदा सरकार’’ निशाना बना रही है।
कई शहरों में कल की गई छापेमारी की कार्रवाई में भारद्वाज और कई अन्य वामपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
भारद्वाज को फरीदाबाद में उनके आवास पर पुलिस अधिकारियों की निगरानी में रखा गया है और उन्हें केवल उनके वकीलों से मिलने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जो भी वर्तमान शासन के खिलाफ है, चाहे वह दलित अधिकारों, जनजातीय अधिकारों या मानवाधिकारों की बात हो, विरोध में आवाज उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ इसी तरह व्यवहार किया जा रहा है।’’
उन्होंने कल पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरा मोबाइल, लैपटॉप और पैन ड्राइव जब्त कर लिये गये हैं। मेरे जीमेल और ट्विटर अकाउंट के पासवर्ड भी ले लिये गये हैं।’’
कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये छापे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला हैं और आपातकाल की यादें ताजा करते हैं।
उनकी बेटी अनु भारद्वाज ने कहा, ‘‘दस लोग थे। उनमें से हरियाणा पुलिस से केवल एक महिला कांस्टेबल थी। अन्य महाराष्ट्र पुलिस से थे। जब मां ने उनसे तलाशी वारंट दिखाने को कहा तो उन्होंने कहा कि वारंट उनके पास नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास कुछ अन्य दस्तावेज थे। इसलिए मां ने उन्हें अन्दर आने की अनुमति दी। मुझे आरोपों के बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन मां ने कहा कि वे पुणे में गिरफ्तारियों के सिलसिले में आये हैं।’’
महाराष्ट्र पुलिस ने माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में दिल्ली समेत कई राज्यों में कई स्थानों पर कुछ लोगों के घरों में छापेमारी की थी।
पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हिंसा की घटना की जांच के तहत ये छापे मारे गये थे।