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टीवी मीडिया के लिए गाइडलाइन बनाने पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- पहले डिजिटल मीडिया को देखने की जरूरत

By विनीत कुमार | Updated: September 17, 2020 10:20 IST

केंद्र की ओर से कहा गया है कि टीवी मीडिया से पहले डिजिटल मीडिया को देखने की जरूरत है क्योंकि आज इसका प्रभाव और पहुंच अत्यधिक है और यहां से चीजें तेजी से वायरल होती हैं।

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ठळक मुद्देकेंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पहले डिजिटल मीडिया को देखना जरूरी हैप्रिंट और टीवी के लिए पहले से पर्याप्त दिशानिर्देश, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए स्टैंडर्ड तय करने के मामले पर केंद्र सरकार ने कहा

केंद्र ने टीवी मीडिया के लिए गाइडलाइन बनाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पहले डिजिटल मीडिया को देखना जरूरी है। सरकार ने कहा कि चूकी डिजिटल मीडिया का प्रभाव आज के दौर में बहुत ज्यादा है और फेसबुक, व्हाट्सएप के इस युग में चीजें जिस तरह से वायरल हो जाती हैं, ऐसे में उसके संबंध में पहले बात होनी चाहिए।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार की ओर से ये बातें सुप्रीम कोर्ट में आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए स्टैंडर्ड तय करने के मामले में आज होने वाली सुनवाई से पहले रखी गई हैं। सरकार ने साथ ही कहा है कि पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के संबंध में पर्याप्त रूपरेखा और न्यायिक घोषणाएं मौजूद हैं। 

सरकार ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पहले के मामलों और मिसालों के आधार पर नियंत्रित होती है। सरकार की ओर से ये भी सुझाव दिए गए हैं कि कोर्ट एक एमिकस क्यूरी नियुक्त करे या फिर एक समिति बनाए जो उसे गाइडलाइन के संबंध में सलाह दे।

सुदर्शन टीवी के शो से जुड़ा है मामला

केंद्र की ओर से ये एफिडेविट एक निजी टीवी चैनल सुदर्शन टीवी के खिलाफ याचिका में दिए गए हैं। सुदर्शन टीवी के एक शो में ये दावा किया गया कि मुस्लिम सरकारी नौकरियों में घुसपैठ कर रहे हैं। इसे इस टीवी चैनल ने UPSC जिहाद नाम दिया है जिसे बिंदास बोल कार्यक्रम में दिखाया गया। इसके कुछ एपिसोड के प्रसारण हुए हैं। 

इसी कार्यक्रम के प्रसारण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई है। कोर्ट ने इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा था, 'आप किसी एक समाज के लिए इस तरह के नजरिए को पेश नहीं कर सकते हैं।'

कोर्ट ने मंगलवार की सुनवाई में टीआरपी की दौड़ और इसके लिए न्यूज को सनसनीखेज बनाने के तरीकों पर भी चिंता जताई थी। कोर्ट ने ये भी कहा कि वह एक समिति बनाएगी जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए स्टैंडर्ड तय करे।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने जब कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियंत्रित करने वाले नियम और कानून पहले से ही मौजूद हैं तो कोर्ट की ओर से कहा गया- क्या वाकई? अगर सबकुछ ठीक होता तो हमें वो देखने को नहीं मिलता जो रोज आज टीवी पर देखने को मिल रहा है।

वहीं, NBA ने कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड रेगुलेशन (NBSA) मौजूद है। नियमों के अनुसार कोई भी प्रसारण उनके आचार संहिता या नियमों के खिलाफ है, तो एक जांच आयोजित की जाती है जिसके बाद चैनल को सुना जाता है। दोषी पाए जाने पर ब्रॉडकास्टर पर अधिकतम 1 लाख का जुर्माना लगाया जाता है।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टटीवी कंट्रोवर्सीसंघ लोक सेवा आयोग
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