कोविड प्रभावित क्षेत्रों से बाहर आंगनवाड़ी केन्द्र पुन: खोलने पर निर्णय लें राज्य : न्यायालय

By भाषा | Published: January 13, 2021 08:25 PM2021-01-13T20:25:57+5:302021-01-13T20:25:57+5:30

State to decide on reopening Anganwadi center outside Kovid affected areas: Court | कोविड प्रभावित क्षेत्रों से बाहर आंगनवाड़ी केन्द्र पुन: खोलने पर निर्णय लें राज्य : न्यायालय

कोविड प्रभावित क्षेत्रों से बाहर आंगनवाड़ी केन्द्र पुन: खोलने पर निर्णय लें राज्य : न्यायालय

नयी दिल्ली, 13 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि पिछले साल कोविड-19 महामारी के दौरान बंद किये गये आंगनवाड़ी केन्द्र, जो कंटेनमेन्ट जोन के बाहर हैं, उन्हें फिर से खोलने के बारे में 31 जनवरी तक फैसला लें।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अपने नागरिकों की जिंदगी और उनके अच्छे स्वास्थ की रक्षा करना सरकार का प्रथम कर्तव्य और संवैधानिक दायित्व है। इसके साथ ही न्यायालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के तहत सभी गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली मांओं और कुपोषण से ग्रस्त बच्चों के लिये पोषक तत्व उपलब्ध हों।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने निर्देश दिया कि सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश आंगनवाड़ी केन्द्रों की निगरानी और उनके पर्यवेक्षण के बारे में आवश्यक आदेश जारी करेंगे ताकि प्रत्येक जिले में सभी लाभार्थियों तक लाभ पहुंचने और शिकायतों के निदान की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

पीठ ने कहा कि किसी भी राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं खोलने का निर्णय संबंधित राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा ऐसा नहीं करने, विशेषकर कंटेनमेन्ट जोन के बाहर के इलाकों, के बारे निर्देश के बाद ही लिया जायेगाा।

आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद करने से उत्पन्न स्थिति के मामले में पीठ ने अपने 31 पेज के फैसले में कहा ,‘‘कंटेनमेन्ट जोन में स्थित आंगनवाड़ी केन्द्रों को कंटेनमेन्ट की स्थिति जारी रहने के दौरान नहीं खोला जायेगा।’’

पीठ ने कहा, ‘‘अपर्याप्त पोषित खाद्य सामग्री की आपूर्ति नागरिकों, खासकर बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी। इसलिए इससे संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त स्वास्थ्य और गरिमा के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।’’

न्यायालय ने अपने फैसले में इस तथ्य का भी जिक्र किया कि कुछ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपने यहां आंगनवाड़ी केन्द्र पुन: खोल दिये हैं।

पीठ ने फैसले में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जब तक आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं खोलने की कोई स्पष्ट वजह नहीं हो, सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को कंटेनमेन्ट जोन के बाहर स्थित सारे आंगनवाड़ी केन्द्रों को जल्द से जल्द कार्यशील बनाना चाहिए। सभी राज्य 31 जनवरी या इससे पहले स्थिति की समीक्षा करके इस बारे में सकारात्मक निर्णय लें बशर्ते किसी राज्य विशेष में इन केन्द्रों को 31 जनवरी से या उससे पहले खोलने के बारे में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का स्पष्ट निर्णय नहीं हो।’’

पीठ ने कहा, ‘‘बच्चे हमारी अगली पीढ़ी हैं और अगर हम बच्चों और महिलाओं को पोषक भोजन उपलब्ध नहीं करायेंगे तो इससे हमारी नयी पीढ़ी और अंतत: पूरा देश प्रभावित होगा। इसमें किसी को संदेह नहीं होगा कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं और अगर उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व उपलब्ध कराने में किसी प्रकार की कंजूसी होती है, तो इससे भविष्य में पूरा देश उनकी क्षमताओं का लाभ उठाने से वंचित होगा।’’

पीठ ने अपने फैसले में इस तथ्य का भी जिक्र किया कि गृह मंत्रालय द्वारा पिछले साल 24 मार्च को कोविड-19 पर काबू पाने के लिये जारी आदेश के बाद इन आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद किया गया था।

न्यायालय ने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पिछले साल 30 मार्च को निर्देश दिया था कि लाभार्थियों को उनके घर पर ही आवश्यक पोषक सामग्री उपलब्ध कराने के लिये आंगनवाड़ी/सहायकों की सेवाओं का उपयोग किया जाये।

न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि 11 नवंबर 2020 को महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कंटेनमेन्ट जोन से बाहर स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों का पालन करने के बाद आंगनवाड़ी केन्द्रों में काम शुरू करने का प्रावधान था।

इसके साथ ही न्यायालय ने गृह मंत्रालय के पिछले साल 25 नवंबर के आदेश का भी जिक्र किया जिसके एक पैराग्राफ में 65 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और 10 साल की उम्र से कम आयु के बच्चों को आवश्यक कार्यों के अलावा घर में रहने की सलाह दी गयी थी।

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