इस साल जल्द ही खुलेगा श्रीनगर-लेह राजमार्ग, अत्याधुनिक स्नो कटर के कारण समय से पहले ही रास्तों से हटाए गए हैं बर्फ

By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 15, 2023 01:35 PM2023-03-15T13:35:22+5:302023-03-15T13:43:48+5:30

आपको बता दें कि राजमार्ग को सुचारू बनाने की खातिर दिन-रात दुनिया के सबसे खतरनाक मौसम से जूझने वाले इन कर्मियों के लिए यह खुशी की बात हो सकती है कि पिछले 4 सालों से किसी हादसे से उनका सामना नहीं हुआ है।

Srinagar-Leh highway will open soon this year snow has been removed ahead of time due to latest snow cutters machines | इस साल जल्द ही खुलेगा श्रीनगर-लेह राजमार्ग, अत्याधुनिक स्नो कटर के कारण समय से पहले ही रास्तों से हटाए गए हैं बर्फ

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsश्रीनगर-लेह राजमार्ग के खुलने को लेकर एक खबर सामने आई है। खबर के अनुसार, हर साल के मुकाबले इस राजमार्ग जल्द ही खुल जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अत्याधुनिक स्नो कटर का इस्तेमाल कर बर्फ को रास्तों से जल्दी हटा लिया गया है।

जम्मू:लद्दाख को जम्मू और कश्मीर के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला रणनीतिक श्रीनगर-लेह राजमार्ग इस साल बहुत जल्द खुलने जा रहा है ऐसा इसलिए क्योंकि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)ने बर्फ हटाने का काम लगभग पूरा कर लिया है। आपको बता दें कि यह राजमार्ग इस साल यह 6 जनवरी को बंद हुआ था और अगर बीआरओ के अधिकारियों की मानें तो पहली बार यह रिकार्ड होगा कि इसे इतनी जल्दी इसे खोला जाएगा।

राजमार्ग जल्दी खुलने पर क्या बोले बीआरओ अधिकारी

इस पर बोलते हुए बीआरओ के अधिकारियों ने बताया कि हाईवे के द्रास और सोनमर्ग दोनों तरफ से बर्फ हटाने का काम पूरा हो चुका है और सड़क को जोड़ दिया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सड़क की स्थिति यातायात की आवाजाही के लिए संभव नहीं है क्योंकि सड़क संकरी है और सड़क को चौड़ा किया जाना है इसके अलावा हिमस्खलन की आशंका भी है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। 

बीआरओ और विजयक की टीम ने कहा कि जोजिला के जीरो प्वाइंट और इंडिया गेट के बीच सड़क खंड पर हिमस्खलन के कारण उन्हें बर्फ हटाने के उपायों में कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ रहा है। इस साल 6 जनवरी को भारी बर्फबारी के बाद इस सड़क को बंद कर दिया गया था। 

अत्याधुनिक स्नो कटर का इस्तेमाल कर जल्द हटाया गया बर्फ

बीकन के एक अधिकारी ने कहा कि रणनीतिक राजमार्ग पर बर्फ हटाने का काम बालटाल की तरफ से शुरू किया गया था जो अब समाप्त हो चुका है तथा बर्फ हटा दी गई है क्योंकि इस बार हाईवे पर जमा बर्फ को साफ करने के लिए अत्याधुनिक स्नो कटर को सेवा में लगाया गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि कैप्टन मोड़, शैतानी नाला, मंदिर मोड़, बजरी नाला सहित जोजिला पास के कई स्थानों पर हर साल भारी हिमस्खलन के कारण राजमार्ग 40 से 50 फीट बर्फ के नीचे दब जाता है और बीआरओ 122 आरसीसी के लिए इसने इस बार गंभीर चुनौती पेश की है।

उन्होंने कहा कि सड़क एक तरफ गहरी खाई के साथ पहाड़ों पर चलती है। सड़क पर काम करते समय जान-माल के नुकसान से बचने के लिए पुरुषों और मशीनरी को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है। गौर करने वाली बात यह है कि लद्दाख को शेष भारत से जोड़ने वाली सड़क केवल डामर और कंक्रीट का खंड नहीं है, बल्कि इस दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए जीवन रेखा है। सदियों से, लद्दाख आवश्यक वस्तुओं और आपूर्तियों के परिवहन और बाहरी दुनिया से जुड़ने के लिए इस सड़क पर निर्भर रहा है।

24 किमी रास्ता से बर्फ को काटकर हटाना कोई आसान काम नहीं है

ऐसे में आप सोच भी नहीं सकते कि मौसम श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर कितना बेदर्द होता है कि इसे खोलने की कवायद किसी जंग से कम नहीं होती और यह जंग साल में दो बार लड़ी जाती है। सोनमर्ग से जोजिला तक का 24 किमी का हिस्सा सारा साल बर्फ से ढका रहता है और इसी बर्फ को काट जवान रास्ता बनाते हैं। रास्ता क्या, बर्फ की बिना छत वाली सुरंग ही होती है जिससे गुजर कर जाने वालों को ऊपर देखने पर इसलिए डर लगता है क्योंकि चारों ओर बर्फ के पहाड़ों के सिवाय कुछ नजर नहीं आता है। याद रहे साइबेरिया के पश्चात द्रास का मौसम सबसे ठंडा रहता है। जहां सर्दियों में अक्सर तापमान शून्य से 49 डिग्री भी नीचे चला जाता है।

पिछले 4 सालों में नहीं हुआ है यहां कोई हादसा

राजमार्ग को सुचारू बनाने की खातिर दिन-रात दुनिया के सबसे खतरनाक मौसम से जूझने वाले इन कर्मियों के लिए यह खुशी की बात हो सकती है कि पिछले 4 सालों से किसी हादसे से उनका सामना नहीं हुआ है। सोनमर्ग से जोजिला तक का 24 किमी का हिस्सा बीकन के हवाले है और जोजिला से द्रास तक का 39 किमी का भाग प्रोजेक्ट हीमांक के पास है। बीकन के कर्मी इस ओर से मार्ग से बर्फ हटाते हुए द्रास की ओर बढ़ते हैं और प्रोजेक्ट हीमांक के जवान द्रास से इस ओर आते हैं।

लद्दाख के लोग अक्तूबर से मई तक कट जाते है दुनिया से

काबिले सलाम सिर्फ बीआरओ के कर्मी ही नहीं बल्कि इस राजमार्ग के साल में कम से कम 6 महीनों तक बंद रहने से दुनिया से कटे रहने वाले द्रास, लेह और करगिल के नागरिक भी हैं। इनमें रहने वालों के लिए साल में छह महीने ऐसे होते हैं जब जिन्दगी बोझ बन जाती है। असल में छह महीने यहां के लोग न तो घरों से निकलते हैं और न ही कोई कामकाज कर पाते हैं। जमा पूंजी खर्च करते हुए पेट भरते हैं। चारों तरफ बर्फ के पहाड़ों के बीच लद्दाख के लोगों को अक्तूबर से मई तक के लिए खाने पीने की चीजों के अलाव रोजमर्रा की दूसरी चीजें भी पहले ही एकत्र कर रखनी पड़ती हैं। नमक हो या फिर तेल सब कुछ 6 महीने के स्टाक के साथ जमा होता है।
 

Web Title: Srinagar-Leh highway will open soon this year snow has been removed ahead of time due to latest snow cutters machines

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