लॉकडाउन से पहले प्रवासियों को जाने दिया होता तो कोरोना वायरस के इतने मामले नहीं बढ़ते: रिपोर्ट

By भाषा | Published: May 31, 2020 03:18 PM2020-05-31T15:18:29+5:302020-05-31T15:18:29+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत मानवीय संकट और कोरोना वायरस बीमारी के फैलने के लिहाज से भारी कीमत चुका रहा है.

Spike in coronavirus cases could have been avoided if migrants allowed to go before lockdown: Report | लॉकडाउन से पहले प्रवासियों को जाने दिया होता तो कोरोना वायरस के इतने मामले नहीं बढ़ते: रिपोर्ट

लॉकडाउन में पैदल घर की ओर जाते प्रवासी मजदूर (लोकमत फाइल फोटो)

Highlightsविशेषज्ञों ने कहा कि बेचैनी और लॉकडाउन संबंधी मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं से निपटने के लिए सामाजिक जुड़ाव बढ़ाने के कदमों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 5,164 हो गई और संक्रमितों की संख्या 1,82,143 पर पहुंच गई है।

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस के मामलों को बढ़ने से रोका जा सकता था अगर प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले घर जाने की अनुमति दी गई होती क्योंकि तब यह संक्रामक रोग कम स्तर पर फैला था।

एम्स, जेएनयू, बीएचयू समेत अन्य संस्थानों के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के कोविड-19 कार्य बल की एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘लौट रहे प्रवासी अब देश के हर हिस्से तक संक्रमण लेकर जा रहे हैं। ज्यादातर उन जिलों के ग्रामीण और शहरी उपनगरीय इलाकों में जा रहे हैं जहां मामले कम थे और जन स्वास्थ्य प्रणाली अपेक्षाकृत कमजोर है।’’

इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए) , इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमोलॉजिस्ट (आईएई) के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजा गया है। उन्होंने बताया कि भारत में 25 मार्च से 30 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन सबसे ‘‘सख्त’’ रहा और इस दौरान कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े।

विशेषज्ञों ने कहा कि जनता के लिए इस बीमारी के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध होने के कारण ऐसा लगता है कि चिकित्सकों और महामारी विज्ञानियों ने सरकार को शुरुआत में ‘‘सीमित फील्ड प्रशिक्षण और कौशल’’ के साथ सलाह दी। उन्होंने रिपोर्ट में कहा, ‘‘नीति निर्माताओं ने स्पष्ट तौर पर सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया। महामारी विज्ञान, जन स्वास्थ्य, निवारक दवाओं और सामाजिक वैज्ञानिकों के क्षेत्र में विज्ञान विशेषों के साथ बातचीत सीमित रही।’’

विशेषज्ञों ने जन स्वास्थ्य और मानवीय संकटों से निपटने के लिए केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर अंतर-अनुशानात्मक जन स्वास्थ्य और निवारक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सामाजिक वैज्ञानिकों की एक समिति गठित करने की सिफारिश की है। उन्होंने सुझाव दिया कि जांच के नतीजों समेत सभी आंकड़ें अनुसंधान समुदाय के लिए सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि इस वैश्विक महामारी पर नियंत्रण पाने का समाधान खोजा जा सके।

उन्होंने निजी अस्पतालों समेत चिकित्सा संस्थानों के जरिए इंफ्लूएंजा जैसी बीमारियों और श्वसन संबंधी बीमारी सीविएर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीजों के लिए निगरानी बढ़ाने की भी सिफारिश की। 

Web Title: Spike in coronavirus cases could have been avoided if migrants allowed to go before lockdown: Report

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