स्पेशल रिपोर्ट: राहुल गांधी ने शिवसेना समेत कई को क्यों लपेटा? जानें सावरकर वाले बयान का पूरा किस्सा
By हरीश गुप्ता | Published: December 16, 2019 08:14 AM2019-12-16T08:14:53+5:302019-12-16T08:14:53+5:30
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने 'लोकमत' को बताया कि वह कभी भी कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन के पक्ष में नहीं थे.
राहुल गांधी ने वीर सावरकर के मुद्दे पर अपनी मां और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत अन्य कांग्रेसियों को चकित करते हुए शिवसेना को उकसा दिया. हालांकि वह भलीभांति अवगत थे कि शनिवार को रामलीला मैदान में विशाल रैली में उनका मकसद क्या था, जब उन्होंने कहा, ''मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं, राहुल गांधी है और मैं माफी नहीं मांगूंगा.''
जाहिर सी बात है कि वह भगवा दलों को बता रहे थे कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी, लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने जानबूझकर सावरकर का नाम शिवसेना को लपेटने के लिए लिया. हालांकि 'भारत बचाओ रैली' का मकसद भाजपा और राजग को निशाना बनाना था, लेकिन राहुल ने पटकथा से हटकर शिवसेना को उकसा दिया.
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने 'लोकमत' को बताया कि वह कभी भी कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन के पक्ष में नहीं थे. फिर भी राजनीतिक मजबूरियों के कारण सोनिया गांधी ने इस गठबंधन को आगे बढ़ाया. राहुल इससे नाखुश थे और मौका मिलने पर उन्होंने इस बात को सार्वजनिक कर दिया. यह अलग बात है कि राहुल के बाद रैली को संबोधित करने वाली सोनिया गांधी ने जो कहा वह पटकथा के अनुसार था और उन्होंने राहुल की टिप्पणी को नजरअंदाज कर दिया.
यह भी साफ है कि रैली के तुरंत बाद सोनिया स्थिति को संभालने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के संपर्क में थीं. यही कारण था कि शिवसेना नेता संजय राऊत का ट्वीट जंग थमने के साथ यह मामला भी थम गया. वैसे, यह साफ है कि राहुल की टिप्पणी काफी सोची-समझी थी.
पार्टी के कई दिग्गज नेता भी नाराज :
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों समेत कई दिग्गज नेता इस बात से नाराज थे कि राहुल गांधी ने पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक को रैली में भारी भीड़ जुटाने के लिए बधाई दी. दरअसल, उन्होंने भीड़ के सामने वासनिक को बुलाकर रैली की सफलता के लिए उनकी पीठ थपथपाई.
राहुल ने भीड़ जुटाने के लिए पार्टी के किसी अन्य नेता का नाम नहीं लिया. मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत (राजस्थान), कमलनाथ (मध्यप्रदेश) और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) के अलावा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने-अपने राज्यों से भीड़ जुटाने के लिए हफ्तों काम किया था. इसके विपरीत पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश से बड़ी तादाद में आए कार्यकर्ताओं को बधाई दी. प्रियंका के भाषण के दौरान वे काफी उत्साहित होते रहे थे.