उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को लेकर पोस्टर लगने लगे हैं। एक पोस्टर सामने आया है, जिसमें हमारा काम बोलता है, भाजपा का झूठ बोलता है, स्लोगन के तौर लिखा हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी चुनाव के प्रमुख मुद्दे इसी तरह के होंगे। सपा इसी लाइन के इर्द-गिर्द अपना चुनाव प्रचार आगे बढ़ाएगी।
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कल दोपहर राजधानी लखनऊ में पहला शंखनाद होगा जब वर्षों से एक-दूसरे की मुखालफत करने वाली सपा और बसपा एक मंच पर होगें, और इसी मंच से सपा-बसपा के गठबंधन का ऐलान होगा। कांग्रेस को रणनीति के तहत इस गठबंधन का हिस्सा नहीं बनाया गया है। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों पर प्रभाव रखने वाली अजित सिंह की पार्टी रालोद को गठबंधन का हिस्सा बनाए जाने को लेकर चर्चा जारी है।
कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने के पीछे बड़ा कारण सवर्णों और विशेष रूप से ब्राह्मणों के वोट बैंक का भाजपा की ओर होने वाले पलायन को रोकना है। यदि कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा होती है तो यह वर्ग भाजपा के पक्ष में मतदान करेगा। क्योंकि सपा-बसपा के साथ ब्राह्मण आने को तैयार नहीं है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, सपा और बसपा 30-35 सीटों के बीच आपसी बंटवारा कर सकते हैं। शेष सीटों में पांच सीटें रालोद के लिए और शेष सीटों पर अपना दल, राजभर की पार्टी जैसे छोटे दलों को समायोजित किया जा सकता है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि राजभर का दल और अपना दल इस गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार होगें या नहीं।
जहां तक कांग्रेस का प्रश्न है कांग्रेस राज्य में मात्र 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह गठबंधन तो नहीं है लेकिन रणनीतिक गठबंधन है। सपा और बसपा ने अमेठी और रायबरेली की सीट पर कोई उम्मीदवार ना खड़ा करने का भी फैसला किया है क्योंकि यहां से सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव मैदान में होंगे।
कांग्रेस भी मान कर चल रही है कि यदि यूपी में भाजपा को रोक दिया जाता है तो चुनाव बाद यूपीए सपा, बसपा सहित दूसरे दलों की मदद से केंद्र में सरकार गठित कर सकेगा।