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मीडिया रिपोर्ट में दावा: आलोक वर्मा को CBI चीफ पद से हटाने वाली कमेटी में नहीं शामिल होना चाहते थे जस्टिस सीकरी

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: January 15, 2019 10:43 IST

जस्टिस सीकरी ने उच्च स्तरीय पैनल के दो अन्य सदस्यों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के प्रतिनिधि, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को पैनल में शामिल न होने की अपनी इच्छा के बारे में बताया था।

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सीबीआई निदेशक पद से आलोक वर्मा को हटाने का फैसला देने वाली उच्‍चाधिकार प्राप्‍त समिति में शामिल रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए के सीकरी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में राजनीतिक रूप मिल लग है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला करने वाली तीन सदस्यीय चयन समिति का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। 

जस्टिस सीकरी का कहना है कि उन्होंने अलोक वर्मा के लिए बनें सेलेक्‍शन कमेटी पैनल में शामिल ना होने की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से कही थी। खबर के अनुसार उन्होंने कहा था कि यह एक कार्यकारी काम है। मैं इसमें शामिल नहीं होने की इच्छा जाहिर कर रहा हूं। लेकिन विपक्ष के नेताओं ने कई सवाल किए और कहा कि हितों के टकराव की संभावनाओं के बाद भी वह पैनल में पहले शामिल ही क्यों हुए थे।

इतना ही नहीं खबर के अनुसार आने वाले समय में भी कोई जज इस तरह की प्रकिया का हिस्सा बनना नहीं चाएगा, सभी जज इस प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही ये विवाद समाप्त हो जाएगा।

ठुकरा दिया था प्रस्ताव

न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिये दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। 

प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूस

सीबीआई निदेशक पद से आलोक वर्मा को हटाने का फैसला देने वाली उच्‍चाधिकार प्राप्‍त समिति में शामिल रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए के सीकरी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में राजनीतिक रूप मिल लग है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला करने वाली तीन सदस्यीय चयन समिति का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। 

जस्टिस सीकरी का कहना है कि उन्होंने अलोक वर्मा के लिए बनें सेलेक्‍शन कमेटी पैनल में शामिल ना होने की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से कही थी। खबर के अनुसार उन्होंने कहा था कि यह एक कार्यकारी काम है। मैं इसमें शामिल नहीं होने की इच्छा जाहिर कर रहा हूं। लेकिन विपक्ष के नेताओं ने कई सवाल किए और कहा कि हितों के टकराव की संभावनाओं के बाद भी वह पैनल में पहले शामिल ही क्यों हुए थे।

इतना ही नहीं खबर के अनुसार आने वाले समय में भी कोई जज इस तरह की प्रकिया का हिस्सा बनना नहीं चाहेगा, सभी जज इस प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही ये विवाद समाप्त हो जाएगा।

ठुकरा दिया था प्रस्ताव

न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिये दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। 

प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने बताया कि जब न्यायाधीश ने रविवार शाम को लिखकर सहमति वापस ले ली। सूत्रों ने कहा, “सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिये पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने अपनी सहमति दी थी। इस पद पर रहते हुए प्रतिवर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था। 

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि सरकार को लंदन के राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के अध्यक्ष/सदस्य के खाली पड़े पद पर न्यायमूर्ति सिकरी को नामित करने पर ‘काफी बातों का जवाब देने’ की जरूरत है। 

पटेल ने एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कहा, ‘सरकार को कई बातों का जवाब देने की जरूरत है।' हालांकि शाम को सूत्रों के हवाले से यह खबर आई कि न्यायमूर्ति एके सीकरी ने राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में सरकार को उन्हें नामित करने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस ले ली। 

न्यायमूर्ति सीकरी उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वाले तीन सदस्यों के पैनल के सदस्य थे। इसी पैनल ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का निर्णय लिया था। 

सीकरी के वोट ने वर्मा को हटाने में अहम भूमिका अदा की थी क्योंकि खड़गे ने इसका कड़ाई से विरोध किया था। न्यायमूर्ति सिकरी ने सरकार का समर्थन किया था। 

रे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने बताया कि जब न्यायाधीश ने रविवार शाम को लिखकर सहमति वापस ले ली। सूत्रों ने कहा, “सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिये पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने अपनी सहमति दी थी। इस पद पर रहते हुए प्रतिवर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था। 

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि सरकार को लंदन के राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के अध्यक्ष/सदस्य के खाली पड़े पद पर न्यायमूर्ति सिकरी को नामित करने पर ‘काफी बातों का जवाब देने’ की जरूरत है। 

पटेल ने एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कहा, ‘सरकार को कई बातों का जवाब देने की जरूरत है।' हालांकि शाम को सूत्रों के हवाले से यह खबर आई कि न्यायमूर्ति एके सीकरी ने राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में सरकार को उन्हें नामित करने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस ले ली। 

न्यायमूर्ति सीकरी उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वाले तीन सदस्यों के पैनल के सदस्य थे। इसी पैनल ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का निर्णय लिया था। 

सीकरी के वोट ने वर्मा को हटाने में अहम भूमिका अदा की थी क्योंकि खड़गे ने इसका कड़ाई से विरोध किया था। न्यायमूर्ति सिकरी ने सरकार का समर्थन किया था। 

टॅग्स :आलोक वर्मानरेंद्र मोदीमल्लिकार्जुन खड़गेभारत सरकार
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