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इस वर्ष के अंत तक सोनिया गाँधी ही बनीं रहेंगी कांग्रेस की अध्यक्ष!

By शीलेष शर्मा | Updated: July 25, 2020 18:38 IST

राहुल की खामोशी के पीछे पार्टी की आंतरिक खेमे बाज़ी को बड़ा कारण बनी हुयी है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी तमाम बड़े नेता चाहते हैं कि सोनिया गाँधी पार्टी अध्यक्ष बनी रहें ,इस खेमे में अहमद पटेल ,आनंद शर्मा ,गुलामनवी आज़ाद ,पी चिदंबरम, भूपेंद्र हुड्डा ,कमल नाथ ,दिग्विजय सिंह ,कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेता शामिल हैं

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ठळक मुद्देकांग्रेस अध्यक्ष पद का फ़ैसला 2021 के प्रारम्भ में ही होगा।सोनिया गाँधी ने अध्यक्ष पद की अंतरिम ज़िम्मेदारी लेते समय पार्टी नेताओं को साफ़ किया था

नयी दिल्ली: राहुल गाँधी को फ़िर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की पार्टी में लगातार उठ रही मांग के बावजूद, सोनिया गाँधी फ़िलहाल कॅरोना काल समाप्त होने तक पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी क्योंकि अध्यक्ष पद  को लेकर राहुल गाँधी अभी भी तैयार नहीं हैं ,सूत्रों का कहना था कि अध्यक्ष पद का फ़ैसला 2021 के प्रारम्भ में ही होगा। उल्लेखनीय है कि  सोनिया गाँधी ने अध्यक्ष पद की अंतरिम ज़िम्मेदारी लेते समय पार्टी नेताओं को साफ़ किया था कि वह लंबे समय तक यह ज़िम्मेदारी नहीं संभाल सकती हैं ,सोनिया के अगस्त 2019 को ज़िम्मेदारी लेने के बाद से लगातार राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है ,पिछली कार्य समिति की बैठक में भी यह मांग उठी ,उस समय राहुल खामोशी से सुनते रहे लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 

राहुल की खामोशी के पीछे पार्टी की आंतरिक खेमे बाज़ी को बड़ा कारण बनी हुयी है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी तमाम बड़े नेता चाहते हैं कि सोनिया गाँधी पार्टी अध्यक्ष बनी रहें ,इस खेमे में अहमद पटेल ,आनंद शर्मा ,गुलामनवी आज़ाद ,पी चिदंबरम, भूपेंद्र हुड्डा ,कमल नाथ ,दिग्विजय सिंह ,कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेता शामिल हैं ,दूसरी तरफ के सी वेणुगोपाल ,रणदीप  सुरजेवाला , ,जतिन प्रसाद,अजय माकन , गौरव गोगोई ,शक्ति सिंह गोहिल, रमैया ,के सुरेश ,मोहम्मद जावेद ,माणिक टैगोर  जैसे युवा नेता लगातार यह मांग पार्टी के अंदर उठा रहे हैं कि अब राहुल को पार्टी का अध्यक्ष पद स्वीकार कर लेना चाहिये। अनौपचारिक बातचीत में दोनों खेमों की अपनी अपनी दलीलें हैं ,लेकिन खुल कर कोई नेता न तो राहुल के खिलाफ़ और न ही सोनिया के खिलाफ बोलने को तैयार है ,परन्तु दलीलें दोनों की हैं.

सोनिया समर्थकों का तर्क है कि राहुल ने जिन युवाओं पर दांव लगाया उन्होंने पार्टी से वगावत की चाहे फिर वह सचिन पायलट हों ,ज्योतिरादित्य सिंधिया ,अजय कुमार और ऐसे अनेक नाम गिनाये जा सकते हैं क्योंकि यह पार्टी की विचारधारा से ज्यादा अपने हितों को तरजीह देने में यकीन रखते हैं। राहुल के समर्थन में खड़े नेताओं का आरोप है कि पुराने नेता नई पीढ़ी को आगे नहीं आने देना चाहते इसी कारण युवाओं में अंसतोष है जिसका परिणाम राजस्थान और मध्यप्रदेश में देखा जा चुका है। खेमों में बंटी कांग्रेस के कारण राहुल पर्दे के पीछे से पार्टी के फ़ैसलों में अहम भूमिका तो निभा रहे हैं लेकिन फ़िलहाल ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हो रहे हैं। 

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