देश व्यापी टेस्टिंग कोरोना से निपटने का एकमात्र विकल्प, सरकार करे इंतज़ाम: सोनिया गांधी
By शीलेष शर्मा | Updated: April 2, 2020 16:37 IST2020-04-02T16:37:18+5:302020-04-02T16:37:18+5:30
सरकार द्वारा किये गये 21 दिन के लॉकडाऊन को ज़रूरी तो बताया लेकिन जिस ढंग से लागू किया गया उसकी कड़ी आलोचना की।

कोरोना संकट के बीच सोनिया गांधी ने लॉकडाउन को बताया जल्दबाजी
नयी दिल्ली: कोरोना की जंग जीतने के लिये देश में टेस्टिंग के व्यापक प्रबंध ही सबसे बड़ा विकल्प है ,इस लिये ज़रूरी है कि इस जंग को लड़ रहे अपने डॉक्टरों ,नर्सों तथा चिकित्सा कर्मियों को वह सभी आवश्यक सामान उपलब्ध करायें जिसकी उनको ज़रुरत है ,यह बात आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी की विडिओ पर बुलाई गयी कार्य समिति की बैठक में कही।
सोनिया ने कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को साफ़ निर्देश दिये कि वे अपने -अपने राज्य में पूरी ताक़त लगा कर उन लोगों तक मदद पहुचायें जो सबसे अधिक जोख़िम में हैं ,ऐसे सभी ज़रूरत बन्दों के लिये पर्याप्त भोजन ,रहने को स्थान और दवाईयों का तत्काल प्रबंध करें।
सरकार द्वारा किये गये 21 दिन के लॉक डाऊन को ज़रूरी तो बताया लेकिन जिस ढंग से लागू किया गया उसकी कड़ी आलोचना की। सोनिया ने इशारों ही इशारों में यह बताने की कोशिश की कि अगर पर्याप्त नोटिस देकर लॉकडाऊन किया जाता तो बड़े स्तर पर न तो पलायन होता साथ ही कोरोना पर नियंत्रण करने में भी मदद मिलती।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से मांग की कि निर्धारित अस्पतालों ,बिस्तरों की संख्या ,एकांत में टेस्टिंग की सुविधा और मेडिकल सप्लाई की समस्त जानकारी सार्वजानिक की जाये जिससे लोगों में इस जंग से लड़ने को लेकर विश्वास पैदा हो सके। किसानों ,छोटे-मझोले उद्योगों,मध्यम वर्ग ,दिहाड़ी मज़दूरों के सामने कोरोना के कारण आये आर्थिक संकट में मदद करने की गुहार लगाते हुये एक जुट हो कर इस जंग का मुक़ाबला करने की अपील की।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश को भरोसा दिया कि संकट के समय कांग्रेस पूरी तरह देश के साथ है तथा कंधे से कंधा मिला कर इस लड़ाई को लड़ेगी .
राहुल गाँधी ने बैठक में जोर देते हुये कहा कि इस समय सबसे ज़रूरी है कि हम इस जंग से लड़ने के लिये देश और परिस्थिति के अनरूप रणनीति बनायें. पार्टी ने सरकार का ध्यान बिगड़ती अर्थ व्यबस्था की ओर खींचते हुये मांग की कि दुनिया के जाने - माने अर्थ शास्त्रियों का टॉस्क फ़ोर्स गठित कर उनसे सुझाव ले कि अर्थ व्यवस्था कैसे सुधरे?