दिल्ली: 2021 के पहले चंद्रग्रहण, ब्लड सुपरमून देखने के बाद अब 10 जून को दुनिया साल का पहला सूर्य ग्रहण देखेगी । चंद्र ग्रहण की तरह ही सूर्य ग्रहण भी इस बार भारत में कुछ जगहों पर ही देखा जा सकेगा। इस बार सूर्य ग्रहण के साथ 'रिंग ऑफ फायर' भी दिखाई देगा। यह तब दिखाई देता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है।चंद्रमा ऐसे में सूर्य को पूरी तरह से ढकता नहीं है इसलिए यह सूर्य के चारों ओर एक वलय जैसी रचना बनाता है।
Solar Eclipse 2021: कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
इस साल वलयाकार ग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी ध्रुव और रूसी फास्ट ईस्ट के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा जबकि यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया, आर्कटिक, अटलांटिक क्षेत्रों में आंशिक सूर्य ग्रहण होगा । भारत में सूर्य ग्रहण केवल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
कब देख सकते हैं सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण कनाडा, उत्तरी ओंटारियो और सुपीरियर झील के उत्तर की ओर सूर्य उदय के समय होगा। पूर्ण ग्रहण 10 जून को सुबह 5:49 पर ईटीडी से शुरू होगा। कनाडा के लोग 3 मिनट 51 सेकंड के लिए 'रिंग ऑफ फायर' जैसी दुर्लभ घटना देख सकते हैं ।
जबकि ग्रीनलैंड में स्थानीय समय के अनुसार दोपहर 12:00 बजे 'रिंग ऑफ फायर' दिखाई देगा । वहां से यह उत्तरी ध्रुव और साइबेरिया में भी देखा जा सकता है ।
कैसे देख सकते हैं
अगर आप 'रिंग ऑफ फायर' जैसी दुर्लभ घटना देखना चाहते हैं तो आपको अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष गियर पहनना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सीधे सूर्य की ओर देखने से आंखों को गंभीर नुकसान हो सकता है। ऐसे में लोगों को सलाह दी जाती है कि वह सूर्य ग्रहण देखने के लिए या तो विशेष आई गियर, वेल्डर ग्लास या पिनहोल कैमरा पहने ।
Wral.com की रिपोर्ट के अनुसार, अब अगला 'रिंग ऑफ फायर' 14 अक्टूबर 2023 तक नहीं होगा।
क्या होता है सूर्य ग्रहण
भौतिक विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की और इसी प्रक्रिया के दौरान कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है । फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है । इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है । यह घटना अमावस्या को होती है । सूर्य ग्रहण तीन प्रकार का होता है- आंशिक सूर्यग्रहण, वलयाकार सूर्यग्रहण और पूर्ण सूर्य ग्रहण ।