सोहराबुद्दीन मामला: अदालत ने वंजारा तथा चार अन्य पुलिसकर्मियों को किया आरोपमुक्त

By भाषा | Published: September 10, 2018 11:54 PM2018-09-10T23:54:32+5:302018-09-10T23:54:32+5:30

अदालत ने कहा कि सीबीआई यह साबित करने में नाकाम रही कि इन अधिकारियों ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और शेख के सहायक तुलसीराम प्रजापति की हत्या के लिए साजिश रची।

Sohrabuddin case: High Court acquitted Vanzara and four other policemen | सोहराबुद्दीन मामला: अदालत ने वंजारा तथा चार अन्य पुलिसकर्मियों को किया आरोपमुक्त

सोहराबुद्दीन मामला: अदालत ने वंजारा तथा चार अन्य पुलिसकर्मियों को किया आरोपमुक्त

मुंबई, 10 सितंबरः बम्बई उच्च न्यायालय ने सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सोमवार को गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डी जी वंजारा और चार अन्य पुलिस अधिकारियों को आरोपमुक्त करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति ए एम बदर ने आरोपमुक्त किये जाने के खिलाफ शेख के भाई रूबाबुद्दीन और केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी और कहा कि ये अधिकारी अपनी आधिकारिक ड्यूटी का निर्वहन कर रहे थे ।

उच्च न्यायालय ने मामले में एक अन्य आरोपी आईपीएस अधिकारी विपुल अग्रवाल को आरोपमुक्त कर दिया। न्यायमूर्ति बदर ने कहा, ‘‘रिकार्ड पर रखी गयी सामग्री से आरोपमुक्त किये गए लोगों के खिलाफ ना तो कोई मामला साबित होता है ना ही कोई संदेह है कि उन्हें मुकदमे का सामना करना चाहिए।’’ इस कारण से गुजरात पुलिस के वंजारा, राजकुमार पांडियन, एन के अमीन और अग्रवाल तथा राजस्थान पुलिस के दिनेश एम एन और कांस्टेबल दलपत सिंह राठौड़ अब आरोपमुक्त हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई ने उनमें से कुछ के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के पहले सरकार से पूर्व अनुमति भी नहीं ली। न्यायाधीश ने कहा कि अगर अदालत सीबीआई के मामले को स्वीकार भी ले तो मंजूरी नहीं रहने से उनके खिलाफ मुकदमा गैरकानूनी होगा । 

अदालत ने कहा कि सीबीआई यह साबित करने में नाकाम रही कि इन अधिकारियों ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और शेख के सहायक तुलसीराम प्रजापति की हत्या के लिए साजिश रची। साथ ही कुछ अंश यहां से कुछ अंश वहां से उठाए जाने से साजिश के लिए मामला नहीं बन सकता। 

सीबीआई के मामले में भी अदालत को दम नहीं लगा कि शेख, कौसर बी और प्रजापति का नवंबर 2005 में तब अपहरण कर लिया गया जब वे एक बस से हैदराबाद से महाराष्ट्र में सांगली जा रहे थे। सीबीआई ने दावा किया था कि शेख उसी जगह मारा गया, कौसर बी कुछ दिन बाद और दोनों हत्याओं के चश्मदीद प्रजापति को छोड़ दिया गया। सीबीआई ने कहा था कि उसे बाद में गिरफ्तार किया गया और वंजारा और अन्य पुलिस अधिकारियों के इशारे पर राजस्थान पुलिस की एक टीम ने उसकी हत्या कर दी। 

पुलिस अधिकारियों की तरफ से पेश वकील महेश जेठमलानी, शिरीष गुप्ते, निरंजन मुंडर्गी और राजा ठाकरे ने दलील दी कि गुजरात और राजस्थान पुलिस की एक टीम ने शेख और कौसर बी को मुठभेड़ में मार गिराया क्योंकि शेख गिरफ्तारी से भाग रहा था। उन्होंने दलील दी कि राजस्थान पुलिस ने दिसंबर 2006 में मुठभेड़ में प्रजापति की हत्या कर दी क्योंकि वह एक मामले की सुनवाई के लिए अहमदाबाद से उदयपुर लौटने के दौरान हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था।

बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि गुजरात पुलिस के कांस्टेबल नाथूबा जडेजा और गुरदयाल सिंह के बयानों को नजरंदाज करना चाहिए क्योंकि वे मुंबई की निचली अदालत में अपने बयान से पलट गए थे। बदर ने कहा कि इस चरण में वह इसका संज्ञान नहीं ले सकते कि मुकदमे के दौरान क्या हुआ था। हालांकि, उन्होंने कहा कि इन दोनों गवाहों ने कई बार गवाही दी। पूर्व के उनके बयानों से पीछे हटने के संबंध में सीबीआई को स्वतंत्र गवाह पेश करना चाहिए। 

उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई यह भी साबित करने में नाकाम रही कि प्रजापति, शेख और कौसर बी के साथ था और जांच एजेंसी ने शेख के भाई की गवाही पर भरोसा किया, किसी दूसरी गवाह पर नहीं। उन्होंने कहा कि केवल रूबाबुद्दीन का यह कहना कि सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी की हत्याओं में प्रजापति चश्मदीद था, इससे मंशा साबित नहीं होती है। उच्च न्यायालय ने साक्ष्य और पूर्व मंजूरी के अभाव में वंजारा और अमीन तथा दिनेश एमएन, पांडियन और राठौड़ को आरोपमुक्त किये जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

Web Title: Sohrabuddin case: High Court acquitted Vanzara and four other policemen

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