नेपाल और चीन के खिलाफ प्रधानमंत्री की स्पष्ट कार्रवाई के संकेत, इस बजट से दोनों पड़ोसी देशों पर प्रतिकूल प्रभाव

By हरीश गुप्ता | Published: February 3, 2020 08:42 AM2020-02-03T08:42:27+5:302020-02-03T08:42:27+5:30

ऐसा लगता है कि चीन के साथ मोदी का लचीलापन खत्म हो गया है और मीठी-मीठी बातों को छोड़कर वह कोरोना वायरस का पूरा फायदा उठाने का फैसला किया है क्योंकि दुनिया उसके साथ कारोबार को निलंबित कर रही है.

Signs of Prime Minister's clear action against Nepal and China, this budget adversely affects both neighboring countries | नेपाल और चीन के खिलाफ प्रधानमंत्री की स्पष्ट कार्रवाई के संकेत, इस बजट से दोनों पड़ोसी देशों पर प्रतिकूल प्रभाव

नेपाल और चीन के खिलाफ प्रधानमंत्री की स्पष्ट कार्रवाई के संकेत, इस बजट से दोनों पड़ोसी देशों पर प्रतिकूल प्रभाव

Highlightsइस कवायद से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आयात शुल्क में 1.38 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी होगी. ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की अर्थव्यवस्था के विकास को कम करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हाथ मिला लिया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्मला सीतारमण की ओर से शनिवार को पेश किए गए 2020-21 के बजट दो पड़ोसी देशों नेपाल और चीन को स्पष्ट संकेत दिया है कि उनके साथ हमेशा की तरह व्यापार नहीं हो सकता है. यदि 2020-21 के बजट में नेपाल की वित्तीय सहायता में एक तिहाई की कटौती की गई है, तो चीन से सस्ते तैयार माल पर आयात शुल्क अत्यधिक बढ़ा दिया गया है. ऐसा लगता है कि चीन के साथ मोदी का लचीलापन खत्म हो गया है और मीठी-मीठी बातों को छोड़कर वह कोरोना वायरस का पूरा फायदा उठाने का फैसला किया है क्योंकि दुनिया उसके साथ कारोबार को निलंबित कर रही है. 300 से अधिक वस्तुओं पर भारी सीमा शुल्क लगाने से भारतीय घरेलू उद्योग को मदद मिल सकती है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान चीन को होगा क्योंकि आयात प्रभावित होगा.

सरकार को उम्मीद है कि इस कवायद से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आयात शुल्क में 1.38 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी होगी. ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की अर्थव्यवस्था के विकास को कम करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हाथ मिला लिया है और कोरोना वायरस का लाभ उठाने का निर्णय लिया है जबकि दुनिया चीनी ड्रैगन से कन्नी काट रही है. इसमें कोई संदेह नहीं है, सीमा शुल्क बढ़ाने का मकसद देश के एमएसएमई की मदद करना है क्योंकि चीन से डंपिंग उन्हें नुकसान पहुंचा रही है. यह घरेलू उद्योग, रोजगार को बढ़ावा देगा और अंतत: जीडीपी को प्रभावित करेगा, लेकिन यह सरकार का बड़ा कदम है. यदि नेपाल ने चीन के साथ निकटता बढ़ाने का फैसला किया, तो भारत ने 2020-21 के दौरान उसकी वित्तीय सहायता में 33 फीसदी की कटौती की है.

नेपाल ने भारत से पिछले वित्त वर्ष में मिले 12 अरब रुपए में से 4 अरब रुपए की कटौती देखी है. वित्त वर्ष 2018-19 में नेपाल को करीब 7.63 अरब रुपए प्राप्त हुए थे. हालांकि, 2019-20 के दौरान सहायता राशि 12 अरब रुपए तक पहुंचाई गई क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी नेपाल के साथ घनिष्ठ संबंध रखना चाहते थे. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान नेपाल ने आवंटन में सबसे बड़ी कटौती देखी है. हालांकि, 8 अरब रुपए के साथ यह अभी भी तीसरा सबसे बड़ा भारतीय सहायता पाने वाला देश होगा.

संवेदनशील वस्तुओं के नियमों की समीक्षा करें

प्रधानमंत्री मोदी ने वित्त मंत्रालय से मूल आवश्यकताओं खासकर कुछ संवेदनशील वस्तुओं के नियमों की समीक्षा करने को कहा है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) मेक इन इंडिया या असेंबल इन इंडिया को बढ़ावा दे रहा है. मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत आयात बढ़ रहा है. एफटीए लाभ के अनुचित दावों ने घरेलू उद्योग के लिए खतरा पैदा कर दिया है. इस तरह के आयात के लिए कड़े जांच की आवश्यकता होती है.

Web Title: Signs of Prime Minister's clear action against Nepal and China, this budget adversely affects both neighboring countries

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