शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा, "क्या बलात्कारियों के सम्मान को 'हिंदू संस्कृति' कहते हैं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 28, 2022 02:33 PM2022-08-28T14:33:24+5:302022-08-28T14:37:22+5:30
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई पर चुप्पी साधे जाने पर सवाल उठाया है।
मुंबई: शिवसेना ने बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों की सजा माफी को बड़ा मुद्दा बनाते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर हमला करते हुए उनसे पूछा है कि क्या भाजपा बलात्कारियों के सम्मान को 'हिंदू संस्कृति' कहती है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में रविवार को बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गहरी चुप्पी पर भी सवाल उठाया है। 'सामना' में भाजपा के शीर्ष नेताओं के खिलाफ यह टिप्पणी 'रोखठोक' कॉलम में की गईं, जिसमें कभी संजय राउत अपनी कलम से चलाते थे। राज्यसभा सांसद समय राउत इस समय प्रवर्तन निदेशायल द्वारा लगाये गये मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में सलाखों के पीछे हैं।
'सामना' ने यह मुद्दा इसलिए उठाया है क्योंकि गुजरात से आने वाली कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि बिलकिस मामले में सजायाफ्ता 11 दोषियों को जेल से रिहा किये जाने के बाद स्थानीय नेताओं ने उनका अभिनंदन किया था।शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ठीक ही कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कहते हैं, उस पर वो कभी अमल नहीं करते यानी की पीएम मोदी के कथनी और करनी में भारी अंतर है।
'सामना' में इस बात पर आश्चर्य प्रगट किया गया है कि एक तरफ तो पीएम मोदी लाल किले के प्राचीर से महिलाओं के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वहीं दूसरी ओर गुजरात सरकार सामूहिक बलात्कार के दोषियों को जेल से रिहा कर दिया। आखिर पीएम मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिये भाषण का उन्ही के गृहक्षेत्र गुजरात में इस तरह से अमल किया गया। क्या बलात्कारियों को छोड़े जाने से महिलाओं के सशक्तिकरण को बल मिलेगा।
इसके साथ ही 'सामना' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पूछा है कि वो इस मामले में इस तरह की चुप्पी क्यों अख्तियार किये हुए हैं, क्या वो मानते हैं कि बलात्कारियों के सम्मान करना 'हिंदू संस्कृति' का हिस्सा है।दोषियों की रिहाई को सांप्रदायिकता से जोड़ते हुए 'सामना' ने यह भी पूछा है कि क्या महज इसलिए कि बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को रिहा किया गया क्योंकि मामले में पीड़िता मुस्लिम थी और इस कारण दोषियों के घृणित अपराध को माफ कर दिया गया है।
शिवसेना ने मुखपत्र में कहा, "यह कहीं से भी हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह तो हिंदुत्व की आत्मा और हमारी देश की महान संस्कृति की प्रतिष्ठा का गंभीर प्रश्न है।" इसमें साथ ही शिवसेना ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा "प्रधानमंत्री मोदी जब भी गुजरात का दौरा करें तो वह उनसे (बिलकिस बानो) मिलें और अपना समर्थन दें।"
'सामना' के लेख में अंत में यह भी कहा गया है कि बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की रिहाई का जिस तरह से देश भर के कई संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। उससे समझ में आता है कि गुजरात सरकार का फैसला पूरी तरह से अनैतिक है और इससे यह भी सिद्ध होता है गुजरात सरकार ने बिलकिस मामले में ठीक फैसला नहीं किया है।
मालूम हो कि बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी, जब 2002 में गोधरा ट्रेन में आग लगने के बाद हुए दंगों से भागते समय उसके साथ 11 दोषियों ने सामूहिक बलात्कार किया था। उस बर्बर कांड में बिलकिस बानो की बेटी समेत कुल सात लोगों की हत्या भी हुई थी।
बीते 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 दोषियों को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया था। सभी दोषियों ने जेल में सजा की 15 साल से अधिक अवधि को पूरा कर लिया था। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)