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Lockdown: बंदरगाहों पर फंसे पड़े हैं माल से लदे जहाज, सरकारी आदेश के बावजूद नहीं दी जा रही शुल्क से छूट

By भाषा | Updated: May 1, 2020 22:28 IST

उद्योग सूत्रों का कहना है कि ढाई लाख से अधिक कंटेनर बंदरगाह प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने की वजह से फंसे पड़े हैं। कोविड- 19 के कारण जारी लॉकडाउन की बीच इन इकाइयों को इस स्थिति से जूझना पड़ा रहा है।

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ठळक मुद्देबंदरगाहों पर पुरानी कतरन और रद्दी माल से लदे जहाजों के खड़े रहने और बंदरगाह अधिकारियों द्वारा बिना शुल्क लिये उन्हें नहीं छोड़ने के कारण इस माल से उत्पादन करने वाली करीब 6,000 पुनर्चक्रण इकाइयां संकट में फंस गई हैं। देश के भीतर भूक्षेत्र स्थित कंटेनर डिपो (आईसीडी) और कंटेनर फ्रेट स्टेशन (सीएफएस) इस मामले में सरकार का आदेश होने के बावजूद शुल्क से छूट नहीं दे रहे हैं।

बंदरगाहों पर पुरानी कतरन और रद्दी माल से लदे जहाजों के खड़े रहने और बंदरगाह अधिकारियों द्वारा बिना शुल्क लिये उन्हें नहीं छोड़ने के कारण इस माल से उत्पादन करने वाली करीब 6,000 पुनर्चक्रण इकाइयां संकट में फंस गई हैं।

देश के भीतर भूक्षेत्र स्थित कंटेनर डिपो (आईसीडी) और कंटेनर फ्रेट स्टेशन (सीएफएस) इस मामले में सरकार का आदेश होने के बावजूद शुल्क से छूट नहीं दे रहे हैं। उद्योग सूत्रों का कहना है कि ढाई लाख से अधिक कंटेनर बंदरगाह प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने की वजह से फंसे पड़े हैं। कोविड- 19 के कारण जारी लॉकडाउन की बीच इन इकाइयों को इस स्थिति से जूझना पड़ा रहा है।

पुनर्चक्रण उद्योग कं संगठन एमआरएआई के अनुसार सरकार के आदेश के बावजूद आईसीडी और सीएफएस शुल्क से छूट देने में विफल रहे हैं।   

समस्या के समाधान के लिए पीएमओ के हस्तक्षेप की मांग करते हुए, मटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) ने कहा है कि जहाजरानी मंत्रालय द्वारा शुल्क नहीं लेने का आदेश दिये जाने के बावजूद कंटेनर रोके गये हैं जिससे आयातित माल के कंटेनर अटके पड़े हैं।

एमआरएआई ने कहा है, ‘‘उद्योग पर अपने जीवन यापन के लिए निर्भर तीन लाख से अधिक लोगों को इस मामले में भुखमरी की संभावना नजर आ रही है। इनमें लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं, जो इस रद्दी माल को पिघलाने से पहले स्क्रैप को अलग छांटने का काम करती हैं।’’

एमआरएआई के अध्यक्ष, संजय मेहता ने कहा, ‘‘धातु और कागज से पुनर्चक्रीकरण खंड में 6,000 एमएसएमई इकाइयां हैं जो अपने कर्मचारियों को वेतन देने के सरकारी आदेश का पालन कर रही हैं, जो कामगार मुख्य रूप से समाज के कमजोर वर्ग से हैं।।

सरकार ने कोविड- 19 महामारी के कारण आपूर्ति में व्यवधान के चलते निर्यात-आयात माल में कमी को देखते हुये पिछले महीने ही देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों से अप्रैल, मई और जून के दौरान लीज किराया, लाइसेंस शुल्क संबंधी सभी शुल्कों आगे के लिये टालने और माल में आई कमी के अनुरूप किराया माफ करने और जुर्माना नहीं लगाने को कहा।

जहाजरानी मंत्रालय ने एक पत्र में बंदरगाहों से कोविड- 19 से प्रभावित शिपिंग कंपनियों, निर्यातकों, आयातकों, माल के रखरखाव की सुविधायें देने वाली लाजिस्टिक्स कंपनियों को शुल्कों में छूट में के रूप में राहत देने को कहा था।

भारत में 12 प्रमुख बंदरगाह हैं - दीनदयाल (पूर्ववर्ती कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मर्मुगाओ, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित), जहां वर्ष 2019-20 में लगभग 70.5 करोड़ टन सामानों का परिवहन किया गया।

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