कांची मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को तमिलनाडु के कांचीपुरम में निधन हुआ था। निधन की खबर फैलते ही कांची मठ में श्रृद्धालु उमड़ पड़े। शंकराचार्य का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। उसके बाद पार्थिव शरीर का महा-अभिषेक किया गया। इसके बाद महासमाधि की प्रक्रिया शुरू हुई। मंत्रोच्चार के बीच शंकराचार्य की महासमाधि की प्रक्रिया मठ के अंदर ही संपन्न की गई। जयेंद्र सरस्वती का अंतिम संस्कार कांची मठ के उत्तराधिकारी विजयेंद्र सरस्वती ने किया। विजयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटि पीतम के 70वें शंकराचार्य होंगे। बता दें कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को लंबे समय से सांस लेने में तकलीफ थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। 28 फरवरी को उनका निधन हो गया। तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भी मठ पहुंचकर श्रृद्धांजलि अर्पित की है।
कौन थे जयेंद्र सरस्वती?
तमिलनाडु के थिरुवरूर जिले में 1935 में जन्में जयेंद्र सरस्वती को 19 वर्ष की आयु में ही चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती का उत्तराधिकारी चुन लिया गया था। 1987 की बात है। जयेंद्र सरस्वती अचानक मठ से गायब हो गए थे। माना जाता है कि संन्यासी का दंड और अन्य चीजें उनके कमरे में पाई गई। तीन दिनों तक लापता रहने के बाद उन्हें कर्नाटक के तालकावेरी के निकट ट्रेस किया गया। उन तीन दिनों तक लापता रहने का रहस्य कभी पता नहीं चल सका। 1994 में जयेंद्र सरस्वती ने मठ के शंकराचार्य का कार्यभार संभाला। जयेंद्र सरस्वती ने अपना उत्तराधिकारी विजयेंद्र सरस्वती को बनाया है।
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जब हत्या के आरोप में जाना पड़ा जेल
भारतीय मीडिया में शंकर रमन हत्याकांड काफी चर्चित रहा था। 2004 में शंकर रमन की पांच लोगों ने देब्रजसामी मंदिर में पिटाई की थी। इससे शंकर की मौत हो गई। शंकर रमन और जयेंद्र सरस्वती के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे। साल 2000 में जयेंद्र सरस्वती चीन की यात्रा पर जा रहे थे। शंकर रमन ने कोर्ट से इस यात्रा पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। शंकर रमन का कहना था कि अगर कोई हिंदू समुद्र लांघता है तो वो अपना धर्म त्याग देता है। जयेंद्र तो एक मठ के शंकराचार्य हैं। जयेंद्र सरस्वती को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी थी।
इसके बाद शंकर रमन को मठ परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। शंकर रमन ने जयेंद्र सरस्वती को एक खुला खत लिखा था जिसमें कोर्ट खसीटने की बात कही गई। शंकर रमन की हत्या के आरोप में जयेंद्र सरस्वती के साथ-साथ अन्य लोगों पर भी मुकदमा चला। शंकराचार्य को जेल भी जाना पड़ा। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद साल 2013 में उन्हें रिहा कर दिया गया।
निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने व्यक्त किया दुःख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'श्री कांची कामकोटि पीतम जगदगुरू पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य की के निधन पर मनोवेदना से भरा हुआ है। वो लाखों श्रृद्धालुओं के दिलो-दिमाग में जिंदा रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।' एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा जगद्गुरू पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य समाज की सेवा में अग्रणी थे। उन्होंने ऐसे संस्थान बनाए हैं जिसने लोगों की जिंदगी में गहरे असर किया ह
तमिलनाडु के कांचीपुरम नगर में स्थित कांची पीठ हिंदू धर्मानुयायियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पीठ कई तरह के धार्मिक संस्थान, शिक्षण संस्थान, अस्पताल इत्यादि चलाती है।