मध्य प्रदेश: शाजापुर की आस्था ऑस्ट्रेलिया में पानी से बना रही ग्रीन हाइड्रोजन, 5 लीटर में 550 किमी चलेगी कार

By नईम क़ुरैशी | Published: November 13, 2022 10:18 AM2022-11-13T10:18:00+5:302022-11-13T10:20:40+5:30

ऑस्ट्रेलिया के ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल के इस्तेमाल को लेकर जारी रिसर्च में दुनिया भर के वैज्ञानिक लगे हैं। इस रिसर्च टीम में शाजापुर की 29 साल की आस्था शर्मा सहित 5 भारतीय भी शामिल हैं।

Shajapur's Aastha Sharma in research team of 15 Scientists in Australia trying to make green hydrogen from water | मध्य प्रदेश: शाजापुर की आस्था ऑस्ट्रेलिया में पानी से बना रही ग्रीन हाइड्रोजन, 5 लीटर में 550 किमी चलेगी कार

शाजापुर की आस्था ऑस्ट्रेलिया में पानी से बना रही ग्रीन हाइड्रोजन!

Highlightsऑस्ट्रेलिया में हाइड्रोजन फ्यूल पर किये जा रहे रिसर्च टीम में दुनिया के 15 वैज्ञानिक शामिल हैं।इनमें 5 भारतीय भी हैं, जिनमें शाजापुर की 29 वर्षीय साइंटिस्ट आस्था शर्मा भी शामिल हैं।पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल पर किया जा रहा है रिसर्च।

शाजापुर (मध्य प्रदेश): दुनिया के लिए वायु प्रदूषण एक जटिल और बड़ा मुद्दा बन गया है। यह न सिर्फ नागरिकों के स्वास्थ्य पर बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इससे बचाव के लिए कई देशों में रिसर्च किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया स्थित ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में भी रिसर्च जारी है। यहां पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल पर किये जा रहे रिसर्च टीम में दुनिया के 15 साइंटिस्ट शामिल हैं, जिनमें 5 भारतीय भी हैं इनमें शाजापुर की 29 वर्षीय साइंटिस्ट आस्था शर्मा भी शामिल हैं।

डॉ. आस्था शर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में 70 मिलियन टन हाइड्रोजन फ्यूल इंडस्ट्रीज में उपयोग होता है, जिसे हम ‘ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल’ बनाकर पेट्रोल-डीजल की जगह कार, टैक्सी, ट्रेन और प्लेन तक चलाने में उपयोग कर सकते हैं। खर्च तो पेट्रोल-डीजल जितना ही होगा, लेकिन प्रदूषण शत-प्रतिशत घट जाएगा। इस फ्यूल से चलने वाला वाहन साइलेंसर से धुआं नहीं, बस कुछ बूंद पानी छोड़ेगा।

देश के लिए करना चाहती हैं रिसर्च

आस्था की प्रारंभिक शिक्षा शाजापुर के एमजी कॉन्वेंट स्कूल से हुई और उसके बाद की पढ़ाई उन्होंने मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर से की। वे शाजापुर में बेरछा रोड पर रहती थीं और अपनी इस उपलब्धि का श्रेय पिता नितिन शर्मा, माता संध्या शर्मा, बहन खुशी और साथी सिद्धार्थ को देती हैं।

पुणे और सिंगापुर में रिसर्च के बाद आस्था ने 2017 से द ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में फुल स्कॉलरशिप पर जॉइन किया और यहीं से पीएचडी की। उन्होंने ‘लो कॉस्ट मटेरियल’ से सोलर के हाइड्रोजन एनर्जी कन्वर्जन में 20% की एफिशिएंसी हासिल की। यह उनकी टीम का वर्ल्ड रिकॉर्ड था। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी का 2020 का टारगेट भी हासिल किया। आस्था ने बताया कि हमारा कोलेब्रेशन भारत के साथ है, लेकिन मैं चाहती हूं कि भारत आकर अपने देश के लिए रिसर्च करूं।

भारत के लिए आसान है फ्यूल बनाना

हाइड्रोजन फ्यूल बनाना भारत के लिए आसान होगा। यहां समुद्र भी पर्याप्त हैं और सूरज की रोशनी भी। हम सस्ते मटेरियल यूज करके पानी से ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल बना रहे हैं। इस फ्यूल से चलने वाली एक ट्रेन का ट्रायल जर्मनी में हो चुका है और भारत में एक कार का ट्रायल होने वाला है। यह कार 5 से 6 लीटर हाइड्रोजन फ्यूल में 550 किमी तक चल सकेगी और इतना फ्यूल भरने में 5 से 7 मिनट लगेंगे। बड़े व्हीकल, ट्रेन, हवाईजहाज इलेक्ट्रिक करना आसान नहीं है क्योंकि बैटरी का वजन ज्यादा होता है। इसलिए ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल से इन्हें चलाना आसान होगा।

Web Title: Shajapur's Aastha Sharma in research team of 15 Scientists in Australia trying to make green hydrogen from water

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