लाइव न्यूज़ :

शहीदी दिवस: वाह रे त्रासदी! हम दिलों में बसने की बात करते हैं यहाँ तो आशियाना तक उजड़ चुका है इन शहीदों का

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: March 23, 2018 13:47 IST

Shaheedi Diwas (शहीदी दिवस): कैसा रहा होगा वो आँगन जहां अठखेलियां करते हुए ये जवान हुए और एक दिन उस आँगन को सूना करके शहीद हो गए देश की खातिर, क्या अब भी ये घर उनका इंतज़ार नहीं करता होगा कि कभी भी लौट के आ सकते हैं मेरे लाल और आकर बोलेंगे - माँ ! भूख लगी है थोड़ी रोटी - सोटी तो दो. 

Open in App

सोचा था कुछ ऐसा लिखूं जो शायद किसी ने नहीं लिखा हो इन शहीदों के बारे में, इस बार कुछ अलग लिखने की कोशिश थी, आखिर सभी लोग कुछ न कुछ तो लिख ही रहे होंगे भगत सिंह, राजगुरु या सुखदेव पर. फिर सोचा चलो, इनके घरों को टटोलते हैं. आखिर कैसा रहा होगा वो आशियाना जिसने देखा इन वीरों को पैदा होने से लेकर शहीद होने तक. जिसने इनके साथ जिया होगा एक - एक पल. कैसे बीता होगा इनका कल इन घरों में, कौन सा कमरा रहा होगा जो अब भी घमंड से कहता होगा, मुझमें रहा करते थे भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव।

कुछ ऐसा ही सोचकर, शुरू कर दिया गूगल को खंगालना, ताकि देख सकूं उन महान घरों को जो जिनके माथे पर अभी भी गर्व से लिखा होगा - ये मेरे भगत का घर है, ये मेरे सुखदेव का घर है और ये मेरे राजगुरु का घर है.

यकीन मानिये, खोजते हुए काफ़ी वक़्त बीत गया और कुछ ऐसा नहीं मिला जिसपर मैं लिख सकूं। मिले तो कुछ उजाड़, कुछ खंडहर हुए मकान जो शायद उस दिन ही मर चुके थे जिस दिन हमारे तीनों वीर शहीद हुए थे.

खटकर कलां, बंगा गाँव:

चलिए चलते हैं शहीद भगत सिंह के पैतृक निवास खटकर कलां, बंगा गाँव जहां भगत सिंह पैदा हुए और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. जिस स्कूल में भगत सिंह पढ़ा करते थे वहां उसके बहुत सी कक्षाओं में छत नहीं हैं और स्कूल की हालत इतनी बदतर है की कभी भी कोई हादसा हो सकता है. जिस घर में भगत सिंह जी ने अपना बचपन बिताया था कई परिवारों ने उसके हिस्से कर दिए हैं. इनमें से एक हिस्सा वकील सनाउल्लाह के पास है जिनको इस घर का इतिहास और इसका महत्त्व पता है इसलिए वो इसकी देखभाल कर रहे हैं.

 

 

खेड़, पुणे - महाराष्ट्र:

पुणे नासिक रोड पर भीमा नदी के किनारे पर बना है, शिवराम हरी राजगुरु (शहीद राजगुरु) का घर जो इनके परिवार ने उनकी याद में संग्रहालय में परिवर्तित करने का सोचा था. सरकार से इसकी अनुमति भी मिल गयी थी लेकिन आर्थिक मदद बहुत ज्यादा नहीं मिली। राजगुरु के घर को दो भागों में बाँट दिया गया है - थोरला वाडा और माझघर, जिस कमरे में उनका जन्म हुआ था. इस कमरे से सटा एक बागीचा हैं जहां साल में चार बार 26 जनवरी, 15 अगस्त, 24 अगस्त (राजगुरु की जयंती) और 23 मार्च राजनीतिज्ञ और स्थानीय लोग आते हैं और ध्वजारोहण करके चले जाते हैं. इसके अलावा इस घर में एक हनुमान मंदिर है जिसकी स्थापना खुद राजगुरु ने की थी. इस घर और उसके आस - पास की हालत भगत सिंह के घर से तो बहुत ज्यादा अच्छी है. लोगों का पूरा ध्यान इस धरोहर को ज़िंदा रखने में हैं. 

सत्यशील राजगुरु जो राजगुरु के परपोते हैं ने इस घर को सरकार को दान देने का निर्णय लिया और सरकार ने भी घर के पुनरुद्धार के लिए 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान पारित किया लेकिन मिले सिर्फ 5 लाख रुपये। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने 2014 में एक सर्वे किया और बताया कि राजगुरु के घर के रखरखाव के लिए लगभग 54 करोड़ रुपये लगेंगे। सरकार की तरफ से 5 करोड़ का अनुदान पारित तो हुआ लेकिन आज तक PWD अफसरों तक नहीं पहुंचा है। यहाँ के हालात भगत सिंह के घर से बेहतर तो हैं लेकिन इस धरोहर को आज भी इंतज़ार है ऐसे लोगों का जो यहाँ आयें और राजगुरु के जीवन को करीब से जानें। 

लुधियाना, पंजाब:

सुखदेव थापर का घर, जो अब भी खड़ा है और गर्व से सुना रहा है इस वीर शहीद की कहानी। पंजाब सरकार ने इस धरोहर को संजो कर रखने की पहल की और पूरे घर का पुनरुद्धार किया गया. जब भारत सरकार ने अपने शहीदों के घरो का पुनरुद्धार करवाना शुरू किया था तो सुखदेव को छोड़ कर बाकि तीन शहीदों लाला लाजपत राय, करतार सिंह और उत्तम सिंह के घरों का पूर्ण पुनरुद्धार करवाना शुरू हुआ लेकिन सुखदेव के घर के कुछ हिस्सों का ही पुनरुद्धार करने का निर्णय लिया गया क्यूंकि घर के दो मंजिलों पर कुछ परिवार रह रहे थे। घर की हालत काफी बदतर थी और वो कभी भी गिर सकता था इसलिए पूरे घर के पुनरुद्धार का निर्णय लिया गया।

इन तीनों शहीदों के घरों की अगर तुलना की जाये तो सबसे सही हालत में सुखदेव थापर का घर है और सबसे बुरी हालत में भगत सिंह का। पाकिस्तान ने तो भगत सिंह की शहादत को पूरी तरह से नकार दिया है ऐसा लगता है, लेकिन क्या भारत सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है, अपने शहीद की आखिरी निशानी को बचा कर रखने की? 

एक तरफ तो हम विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमाएं बनाने का दावा करते हैं और उन पर हज़ारों करोड़ों खर्च करने की बात करते हैं और दूसरी तरफ अपनी धरोहरों को संभल के रखने में भी चूक जाते हैं।

टॅग्स :शहीद दिवसभगत सिंह
Open in App

संबंधित खबरें

भारत'गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कुर्बान किया': कुरुक्षेत्र में शहीदी दिवस कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

भारतशहीद-ए-आजम भगत सिंह की तुलना हमास से नहीं की?, सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- अमित मालवीय गलत पोस्ट कर रहे...

भारतShaheed Bhagat Singh's birth anniversary: भारत माता के महान सपूत भगत सिंह का जन्मदिन

भारतBhagat Singh Jayanti 2024: अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर पढ़ें उनके क्रांतिकारी विचार, आज भी रोंगटे खड़े कर देते हैं

भारतBhagat Singh Jayanti 2024: सत्यम-शिवम-सुंदरम का आव्हान?, शहीद भगत सिंह विचार मानवता के पक्ष में...

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें

भारतडॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी श्रद्धांजलि