ऊधम सिंह पुण्यतिथिः जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाला महान क्रांतिकारी
By आदित्य द्विवेदी | Published: July 31, 2018 07:55 AM2018-07-31T07:55:09+5:302018-07-31T07:55:09+5:30
Shaheed Udham Singh Death anniversary:4 जून 1940 को ऊधम सिंह को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया। उन्हें 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई और भारत मां का वीर सपूत हमेशा के लिए अमर हो गया।
13 अप्रैल 1919 का मनहूस दिन। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस दिन को आंसुओं से लिखा गया है। आजादी के मतवाले शाम चार बजे अमृतसर के जलियांवाला बाग में सभा कर रहे थे। अंग्रेजी सैन्य अधिकारी जनरल डायर शाम पांच बजे सभास्थल पर पहुंचा। उसके साथ करीब 90 सैनिक थे। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के मशीन गन से ताबड़तोड़ गोलियां चलवा दी। जनरल डायर ने 10 मिनट में 1650 राउंड फायर करवाए। अंग्रेज सरकार के मुताबिक इस हादसे में 290 लोगों की मौत हो गई वहीं प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यह आंकड़ा हजार से पार था। इस घटना ने ऊधम सिंह को हिलाकर रख दिया और उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य चुन लिया।
निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां भले ही जनरल रेजीनल्ड एडवर्ड हैरी डायर ने चलवाईं हों लेकिन ऊधम सिंह इस घटना के लिए असली जिम्मेदार जनरल माइकल ओडायर को मानते थे। उसी के आदेश पर डायर ने गोलियां चलवाई थी। इसके बाद ऊधम सिंह ने इस क्रूर हत्याकांड का बदला लेने का फैसला किया।
ऊधम सिंह ने अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्राएँ की और आखिरकार 1934 में लंदन पहुंच गए। अपने मिशन को अंजाम देने के लिए उन्होंने एक कार और रिवाल्वर खरीदी। 6 साल के इंतजार बार उन्हें मौका मिला अब हजारों हिंदुस्तानी भाई-बहनों की मौत का बदला लेने का। दरअसल, 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक बैठक में कॉक्सटन हॉल में एक बैठक थी जहां माइकल ओ'डायर भी एक वक्ता था।
13 मार्च 1940 को ऊधम सिंह कॉक्सटन हॉल में समय से कुछ पहले ही पहुंच गए। उन्होंने अपनी रिवॉल्वर को एक मोटी-सी किताब में छिपा ली। बैठक के बाद ऊधम सिंह ने एक दीवार की ओट ली और जनरल डायर पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। देशभक्त की दो गोलियों से डायर की मौके पर ही मौत हो गई। डायर को मारने के बाद ऊधम सिंह का बदला पूरा हो गया। उन्होंने भागने की कोशिश नहीं की, वहीं गिरफ्तारी दे दी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान ऊधम सिंह ने कहा था, ''मैंने डायर को मारा, क्योंकि वह इसी के लायक़ था। मैंने ब्रिटिश राज्य में अपने देशवासियों की दुर्दशा देखी है। मेरा कर्तव्य था कि मैं देश के लिए कुछ करूं। मुझे मरने का डर नहीं है। देश के लिए कुछ करके जवानी में मरना चाहिए।'
ऊधम सिंह की जिंदगी से जुड़े तथ्यः-
- ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम गांव में हुआ था।
- ऊधम सिंह के जन्म के कुछ साल बाद ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। उनका पालन-पोषण भाई ने किया।
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के निडर नायकों में ऊधम सिंह का शुमार होता है। आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले महान क्रांतिकारी थे।
- ऊधम सिंह के किशोर मन पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का गहरा असर पड़ा।
- उन्होंने 13 अप्रैल 1919 को माइकल ओ'डायर की लंदन में गोली मारकर हत्या कर दी।
- 31 जुलाई 1940 को ब्रिटेन के पेंटनविले में ऊधम सिंह को फांसी पर लटका दिया गया।
4 जून 1940 को ऊधम सिंह को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया। उन्हें 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई और भारत मां का वीर सपूत हमेशा के लिए अमर हो गया।
विशेष रिपोर्ट और देश-दुनिया की ताज़ा खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें. यूट्यूब चैनल यहाँ सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट!