गोधरा 2002: अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार की जमानत अर्जी ठुकराई
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 30, 2022 06:26 PM2022-07-30T18:26:19+5:302022-07-30T18:31:39+5:30
अहमदाबाद सेशन कोर्ट के जज डीडी ठक्कर ने तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिका उस वक्त खारिज कर दी, जब वो फैसला देने के कुछ ही घंटों के बाद न्यायिक सेवा से रिटायर हो रहे थे।
अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद सेशन कोर्ट ने समाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार द्वारा दायर की गई जमानत अर्जी खारिज कर दी है। दोनों ही साल 2002 में हुए गोधरा दंग केस में झूठे सबूतों को गढ़ने के आरोप में गिरफ्तारी होने के बाद जेल की सलाखों के पीछे हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज डीडी ठक्कर ने आज के दिन दोनों की याचिकाओं के उस वक्त खारिज किया, जब कुछ घंटों के बाद अपने न्यायिक सेवा से रिटायर हो रहे थे।
जमानत याचिका पर तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार के पक्ष और साथ ही अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सेशन कोर्ट ने पिछले हफ्ते अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे आज सुनाया गया है।
फैसले में जज डीडी ठक्कर ने कहा कि जकिया जाफरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह गिरफ्तारियां हुई हैं और चूंकि इस मामले में एसआईटी आरोपियों पर लगे सबूत गढ़ने के आरोपों की जांच कर रही है तो आरोपियों की जमानत फिलहाल जमानत नहीं दी जा सकती है।
मालूम हो कि तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार और गुजरात पुलिस के एक अन्य पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को पिछले महीने अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) की पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा दंगे में मारे गये पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जांच की मांग की गई थी।
जकिया जाफरी की याचिका में गोधरा ट्रेन हत्यकांड के बाद हुए गुजरात दंगों में एक बड़ी साजिश का दावा किया गया था। इस मामले में जाफरी की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण किया था।
इसके साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर दंगों को भड़काने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ झूठी गवाही दी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश के बाद गुजरात पुलिस फौरन हरकत में आयी और उसने तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और जेल में बंद संजीव भट्ट के खिलाफ धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 194 (झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत नया मामला दर्ज किया।
इसके बाद गुजरात पुलिस ने मुंबई जाकर सामाजित कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और श्रीकुमार को गिरफ्तार किया, वहीं हिरासत में हुई मौत के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पहले से ही जेल में बंद संजीव भट्ट को भी हिरासत में लिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात पुलिस की ओर से दर्ज किये गए नये केस में सभी आरोपियों के खिलाफ कहा गया कि इन्होंने गुजरात दंगों को लेकर झूठे दावे करके सनसनी फैलाने की कोशिश की। इसके अलावा नई एफआईआर में यह भी कहा गया है कि एसआईटी ने गंभीर जांच के बाद आरोपियों के दावों के झूठ को पूरी तरह से उजागर कर दिया था।