जस्टिस अरुण मिश्रा के विदाई समारोह पर विवाद: SCBA अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने लगाया बोलने से रोकने का आरोप, लड़ा था प्रशांत भूषण का केस

By भाषा | Published: September 2, 2020 09:13 PM2020-09-02T21:13:14+5:302020-09-02T21:13:14+5:30

दुष्यंत दवे ने पत्र में लिखा है, ‘‘मुझे स्वीकार करना होगा की उच्चतम न्यायालय ऐसे स्तर तक पहुंच गया है जहां न्यायाधीश बार से डरते हैं। कृपया याद रखिये, न्यायाधीश आते हैं और चले जाते हैं लेकिन हम, बार, लगातार हैं। हम इस गौरवशाली संस्थान की असली ताकत हैं क्योंकि हम स्थाई हैं।’’

SCBA President Dave, who was denied speaking at the farewell ceremony of Justice Mishra, wrote a letter to the CJI | जस्टिस अरुण मिश्रा के विदाई समारोह पर विवाद: SCBA अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने लगाया बोलने से रोकने का आरोप, लड़ा था प्रशांत भूषण का केस

जस्टिस अरुण मिश्रा के विदाई समारोह पर विवाद: SCBA अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने लगाया बोलने से रोकने का आरोप, लड़ा था प्रशांत भूषण का केस

Highlightsदुष्यंत दवे ने न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा के विदाई समारोह में बोलने के अवसर से वंचित किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की इसके बाद उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक पत्र लिखा।

नयी दिल्ली: वरिष्ठ अधिवक्ता और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा के विदाई समारोह में बोलने के अवसर से वंचित किये जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये बुधवार को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक पत्र लिखा। दवे ने इस पत्र में घोर निराशा जताते हुए और निन्दा करते हुये लिखा है कि वह एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते हुये अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। दवे का कार्यकाल इस साल दिसंबर तक है।

दवे ने पत्र में लिखा है, ‘‘मुझे स्वीकार करना होगा की उच्चतम न्यायालय ऐसे स्तर तक पहुंच गया है जहां न्यायाधीश बार से डरते हैं। कृपया याद रखिये, न्यायाधीश आते हैं और चले जाते हैं लेकिन हम, बार, लगातार हैं। हम इस गौरवशाली संस्थान की असली ताकत हैं क्योंकि हम स्थाई हैं।’’ दवे ने कहा,‘‘मैं कहनाा चाहूंगा कि मैं इस घटना से व्यक्तिगत रूप से बहुत व्यथित हूं और उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित किसी भी समारोह में अपना कार्यकाल दिसंबर में पूरा होने तक शामिल नहीं होऊंगा।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें प्रधान न्यायाधीश की समारोह पीठ मे अपराह्न साढ़े बारह बजे शामिल होने के लिये एससीआई-वीसी की टीम से सवेरे 10.06 बजे लिंक मिला जो संबंधित रजिस्ट्रार ने व्हाट्सऐप पर भेजा था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 10.16 मिनट पर इसे स्वीकार करते हुये जवाब दिया जिसकी पावती 10.18 मिनट पर रजिस्ट्रार से मिली। मैं 12.20 पर इस लिंक के माध्यम से शामिल हुआ ओर इसकी वीडियो तथा आडियो एकदम ठीक होने की टीम ने पुष्टि भी की।’’

दवे ने कहा, ‘‘इसके बाद मेरी अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, सालिसीटर जनरल तुषार मेहता, उच्चतम न्यायालय एडवोकेट्स आन रिकार्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवाजी जाधव से बातचीत भी हुयी। न्यायालय जब लगी तो मैंने सारी कार्यवाही देखी और सुनी। अंत में मुकुल रोहतगी ने विदाई दी।’’ दवे ने लिखा कि न्यायालय का काम खत्म होने के बाद अटार्नी जनरल से बोलने का अनुरोध किया गया। उनका भाषण समाप्त होने पर मैंने सोचा कि अब मुझसे बोलने का अनुरोध किया जायेगा लेकिन मेरी उपस्थिति के बारे में जानने के बावजूद जाधव से बोलने का अनुरोध किया गया। किन्हीं अपरिहार्य कारणों से मेरा संपर्क बार बार टूट रहा था और मैने जोर दिया और हर बार शामिल हुआ।

दवे ने लिखा, ‘‘मैंने जाधव को देखा और सुना और उनके भाषण के समापन के बाद भी मुझसे बोलने का अनुरोध नहीं किया गया, हालांकि, जाधव ने अपने भाषण में मेरी उपस्थिति का जिक्र किया था।’’ उन्होंने लिखा की प्रधान न्याधीश के बोलने के बाद न्यायमूर्ति मिश्रा को बोलने के लिये आमंत्रित किया गया। उन्होंने लिखा, ‘‘उस समय मुझे सारा खेल समझ में आया और बार तथा अपनी गरिमा के व्यापक हित में मैं इससे हट गया। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि मैंने 12.49 पर और फिर 12.53 पर व्हाट्सऐप पर सेक्रेटरी जनरल को संदेश करके पूछा कि मुझे म्यूट क्यों रखा गया और मुझे आमंत्रित ही क्यों करा गया था।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘सेक्रेटरी जनरल ने 1.02 पर जवाब दिया कि वह इस पर गौर करने के लिये संबंधित रजिस्ट्रार को निर्देश दे रहे हैं लेकिन तब तक देर हो चुकी थी तो मैंने उन्हे संदेश कि मैं लिंक से निकल गया हूं।’’ 

Web Title: SCBA President Dave, who was denied speaking at the farewell ceremony of Justice Mishra, wrote a letter to the CJI

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