संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत स्थायी सदस्यता पर एस जयशंकर ने कही ये बात, रोड़े अटकाने के लिए चीन पर परोक्ष रूप से निशाना भी साधा
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: April 2, 2024 07:13 PM2024-04-02T19:13:42+5:302024-04-02T19:15:45+5:30
एस जयशंकर ने भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलने की वकालत भी की। उन्होंने कहा कि अब, दुनिया भर में यह भावना है कि भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए।
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत स्थायी सदस्यता पाने की कोशिश में लंबे समय से जुटा है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर इसे लेकर आशा व्यक्त की है। राजकोट में बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि विश्व शांति निकाय में प्रतिष्ठित स्थान हासिल करने के लिए मेहनती काम जरूरी है। वर्तमान में, रूस, चीन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं। सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव के पास होने के लिए इन पांचों की सहमति आवश्यक है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की राह में रोड़े अटकाने के लिए चीन पर परोक्ष रूप से निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का गठन लगभग 80 साल पहले हुआ था और इन पांच देशों ने आपस में इसकी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि इन पांच देशों ने अपना नियंत्रण बनाए रखा है, और यह अजीब है कि आपको उनसे बदलाव के लिए अपनी सहमति देने के लिए कहना पड़ रहा है। कुछ सहमत हैं, कुछ अन्य ईमानदारी से अपना पक्ष रखते हैं, जबकि अन्य पीछे से कुछ करते हैं।
एस जयशंकर ने भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलने की वकालत भी की। उन्होंने कहा कि अब, दुनिया भर में यह भावना है कि भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए। जयशंकर ने कहा कि यह भावना हर साल बढ़ती जा रही है। हालांकि हमें मेहनत करनी पड़ेगी और इस बार तो और भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।
भारतीय विदेश मंत्री ने यूक्रेन युद्ध और गाजा जैसे संघर्षों पर हालिया गतिरोध का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र पर बढ़ते दबाव के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कथित कमजोर होने को भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी के बढ़ते अवसरों से जोड़ते हुए कहा कि दुनिया में यह भावना है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कोई सहमति नहीं बन पाई। मुझे लगता है कि जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना बढ़ेगी।