बिहार में बने जूते पहनकर जंग लड़ रहे हैं रूस के सैनिक, हाजीपुर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 16, 2024 14:16 IST2024-07-16T14:14:39+5:302024-07-16T14:16:10+5:30
हाजीपुर शहर अपने कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है। लेकिन अब यह रूसी सेना के लिए सुरक्षा जूते बनाकर अपनी अलग कहानी लिख रहा है। यहां बने जूतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिल रही है।

बिहार में बने जूते पहनकर जंग लड़ रहे हैं रूस के सैनिक
नई दिल्ली: बिहार के हाजीपुर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। हाजीपुर में बने विशेष जूतों का इस्तेमाल हाजीपुर कर रहे हैं। हाल ही में रूसी सैनिकों ने हाजीपुर में निर्मित 'मेड इन बिहार' जूतों के साथ मार्च किया। रूसी सेना ने यूक्रेन में अपना अभियान जारी रखा है और जंग के मैदान में सैनिक हाजीपुर में निर्मित 'मेड इन बिहार' जूते का उपयोग कर रहे हैं।
हाजीपुर शहर अपने कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है। लेकिन अब यह रूसी सेना के लिए सुरक्षा जूते बनाकर अपनी अलग कहानी लिख रहा है। यहां बने जूतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिल रही है।
Russian Army marches on 'Made in Bihar' boots manufactured in Hajipur
— ANI Digital (@ani_digital) July 15, 2024
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हाजीपुर स्थित एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, कंपीटेंस एक्सपोर्ट्स रूसी सेना के लिए सुरक्षा जूते और यूरोपीय बाजारों के लिए डिजाइनर जूते बनाती है। यह कंपनी यूके, इटली, फ्रांस, स्पेन और अन्य देशों के बाजारों के लिए लक्जरी डिजाइनर जूते बनाती है।
कंपीटेंस एक्सपोर्ट्स के महाप्रबंधक शिब कुमार रॉय ने एएनआई को बताया कि हमने 2018 में हाजीपुर में युनिट शुरू की। उनका लक्ष्य स्थानीय रोजगार उत्पन्न करना है। उन्होंने कहा कि हाजीपुर में, हम सुरक्षा जूते बनाते हैं जो रूस को निर्यात किए जाते हैं। हम धीरे-धीरे यूरोप पर भी काम कर रहे हैं और जल्द ही घरेलू बाजार में लॉन्च करेंगे।
कंपनी ने पिछले साल रूस को 100 करोड़ रुपये मूल्य के 15 लाख जोड़े भेजे। इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है। कंपनी में फैशन विकास के प्रमुख मज़हर पल्लुमिया वैश्विक ब्रांडों के लिए प्रीमियम जूते तैयार करने का लक्ष्य रखे हैं।
रूसी सेना के लिए सुरक्षा जूते की आवश्यकताओं के बारे में बताते हुए शिब कुमार रॉय ने कहा कि उनकी आवश्यकताएं हैं कि जूते हल्के हों, फिसलने वाले न हों, तलवों में विशेष विशेषताएं हों और -40 डिग्री सेल्सियस जैसी चरम मौसम की स्थिति का सामना कर सकें। इन स्थितियों पर विचार करते हुए खास जूते बनाए जाते हैं। प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है और उनकी कंपनी रूस के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।
कंपनी के एमडी दानेश प्रसाद की महत्वाकांक्षा बिहार में एक विश्व स्तरीय फैक्ट्री बनाने और राज्य के रोजगार में योगदान देने की है। काम कर रहे 300 कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने पिछले साल 15 लाख जोड़े निर्यात किए, जिसकी कीमत 100 करोड़ रुपये है और उनका लक्ष्य अगले साल इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है। हाजीपुर सुविधा यूरोपीय बाजारों, अर्थात् इटली, फ्रांस, स्पेन और यूके में लक्जरी डिजाइनर या फैशन जूते भी निर्यात करती है।