आरएसएस आरक्षण का “पुरजोर समर्थक”, दत्तात्रेय होसबाले बोले-समाज में बराबरी तक इसे जारी रखा जाना चाहिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 10, 2021 07:28 PM2021-08-10T19:28:48+5:302021-08-10T19:30:24+5:30
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, “भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है। उनके इतिहास के बिना, भारत का इतिहास अधूरा है।”
नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आरक्षण का “पुरजोर समर्थक” होने की बात करते हुए संगठन के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मंगलवार को कहा कि यह सकारात्मक कार्रवाई का जरिया है और जब तक समाज का एक खास वर्ग “असमानता” का अनुभव करता है, तब तक इसे जारी रखा जाना चाहिए।
भारत के इतिहास के दलितों के इतिहास के बगैर “अधूरा” होने का उल्लेख करते हुए होसबाले ने कहा कि वे सामाजिक परिवर्तन में अग्रणी रहे हैं। “मेकर्स ऑफ मॉर्डन दलित हिस्ट्री” शीर्षक वाली एक पुस्तक के विमोचन के लिये इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही।
होसबाले ने कहा, “भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है। उनके इतिहास के बिना, भारत का इतिहास अधूरा है।” आरक्षण की बात करते हुए होसबाले ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह और उनका संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ “आरक्षण के पुरजोर समर्थक हैं।”
I & my organisation have been stronger supporters of reservation for decades.... We time & again declared that reservation is the historic necessity of our country as long as there is inequality being experienced by a particular section of society: RSS leader Dattatreya Hosabale pic.twitter.com/7KMIkACnZX
— ANI (@ANI) August 10, 2021
उन्होंने कहा, “सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक रणनीतियां नहीं हैं और ये दोनों हमारे लिए आस्था की वस्तु हैं।” भारत के लिए आरक्षण को एक “ऐतिहासिक जरूरत” बताते हुए होसबाले ने कहा, “यह तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक समाज के एक वर्ग विशेष द्वारा असमानता का अनुभव किया जा रहा है।”
आरक्षण को “सकारात्मक कार्रवाई” का साधन बताते हुए होसबाले ने कहा कि आरक्षण और समन्वय (समाज के सभी वर्गों के बीच) साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में सामाजिक बदलाव का नेतृत्व करने वाली विभूतियों को “दलित नेता” कहना अनुचित होगा, क्योंकि वे पूरे समाज के नेता थे।
होसबाले ने कहा, “जब हम समाज के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं तो निश्चित रूप से आरक्षण जैसे कुछ पहलू सामने आते हैं। मेरा संगठन और मैं दशकों से आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं। जब कई परिसरों में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे, तब हमने पटना में आरक्षण के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया और एक संगोष्ठी आयोजित की थी।”