राज्यसभा में हंगामाः ‘मेरी मानो, नहीं तो दफा हो जाओ’...तो यह नहीं चल सकता, नायडू ने विपक्ष के बहिष्कार पर कहा
By भाषा | Published: September 22, 2020 06:53 PM2020-09-22T18:53:56+5:302020-09-22T18:53:56+5:30
‘‘यदि कुछ लोगों को लगता है, ‘मेरी मानो, नहीं तो दफा हो जाओ’...तो यह नहीं चल सकता।...मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा। आपके पास संख्या बल है, आपको अपनी सीट पर रहना चाहिए, मत विभाजन की मांग करनी चाहिए।’’
नई दिल्लीः राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के बीच उप सभापति हरिवंश द्वारा दिखाये गये संयम की सराहना की तथा विरोध कर रहे नेताओं के आचरण को नामंजूर करते हुए कहा ‘‘मेरी मानो नहीं तो दफा हो’’ वाला रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता।
नायडू ने विपक्ष के नेताओं से राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने के उनके निर्णय पर पुनर्विचार करने तथा सदन में हो रही चर्चा में हिस्सा लेने की अपील की। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि कृषि संबंधी दो विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान मत विभाजन की सदस्यों की मांग पर गौर नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र का अर्थ बहस, चर्चा और निर्णय करना होता है ना कि व्यवधान उत्पन्न करना।’’ नायडू ने कहा कि आसन चाहता है कि सदस्यों की पूर्ण भागीदारी के साथ सदन को चलाया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि कुछ लोगों को लगता है, ‘मेरी मानो, नहीं तो दफा हो जाओ’...तो यह नहीं चल सकता।...मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा। आपके पास संख्या बल है, आपको अपनी सीट पर रहना चाहिए, मत विभाजन की मांग करनी चाहिए।’’
हरिवंश ने 13 बार सदस्यों से अपनी सीट पर जाने और चर्चा में भाग लेने की अपील की थी
सभापति नायडू ने कहा कि रविवार को कृषि संबंधी विधेयकों पर विपक्ष के हंगामे के दौरान उप सभापति हरिवंश ने 13 बार सदस्यों से अपनी सीट पर जाने और चर्चा में भाग लेने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि कार्यवाही के रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि उप सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार बार कहा कि वे अपने स्थान पर जाएं और उसके बाद वह मत विभाजन की अनुमति देंगे।
नायडू ने कहा कि वह हंगामा करने वाले सदस्यों के निलंबन से खुश नहीं हैं, लेकिन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई उनके आचरण को लेकर हुयी है। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब सदन में सदस्य निलंबित किए गए हैं। विगत में ऐसे कई उदाहरण हैं।
उन्होंने हंगामे में कृषि विधेयकों के पारित होने को लेकर विपक्ष की आपत्ति पर कहा कि यह पहला मौका नहीं था जब विधेयक हंगामे में पारित किए गए। इससे पहले सदन में 15 विधेयक हंगामे में पारित किए गए थे।
नायडू ने उप सभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र करते हुए एक बार फिर कहा कि यह उचित प्रारूप में नहीं था और इसके लिए 14 दिन का जरूरी नोटिस भी नहीं दिया गया था। उच्च सदन में रविवार को कृषि संबंधित विधेयक के पारित होने के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने भारी हंगामा किया था।
सरकार ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, डोला सेन, माकपा के इलामरम करीम, के के रागेश, आप के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा को शेष सत्र के लिए निलंबन का एक प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनि मत से पारित कर दिया।
Dy Chairman Harivansh ji wrote a letter to me expressing his commitment to democracy;He said in order to arouse the conscious of people he wants to observe fast to make members who have behaved in such a manner to realise and to introspect:RS chairman M. Venkaiah Naidu pic.twitter.com/Tq2vJUviNK
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 22, 2020