मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर अपने फैसले पर अड़ीं, कहा- किसी भी कीमत पर नहीं दूंगी JNU को सीवी

By पल्लवी कुमारी | Published: September 4, 2019 05:00 PM2019-09-04T17:00:38+5:302019-09-04T17:00:38+5:30

रोमिला थापर देश की प्रमुख इतिहासकारों और लेखकों में से एक हैं। रोमिला थापर का जन्म 30 नंवबर 1931 को लखनऊ में हुआ है। रोमिला थापर ने पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में ग्रेजुएट की। उसके बाद लंदन विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास में स्नातक से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। थापर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षण की शुरुआत की थी। जेएनयू के अलावा रोमिला थापर कुछ वर्षों तक डीयू में भी पढ़ा चुकी हैं।

Romila Thapar stick on decision to Not share CV with JNU | मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर अपने फैसले पर अड़ीं, कहा- किसी भी कीमत पर नहीं दूंगी JNU को सीवी

रोमिला थापर( फाइल फोटो)

Highlightsजेएनयू रजिस्टार प्रमोद कुमार ने 87 वर्षीय रोमिला थापर से पत्र और ईमेल लिखकर अगस्त 2019 में सीवी मांगा था। रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है।

इतिहासकार रोमिला थापर से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने सीवी (CV) मांगा था। जेएनयू के द्वारा सीवी मांगने के बाद रोमिला थापर ने अधिकारिक तौर पर पत्र लिखकर सीवी देने से मना किया है। रोमिला थापर ने कहा है कि किसी भी कीमत पर वह अपना सीवी शेयर नहीं करेंगी। जेएनयू ने सीवी विवाद पर कहा है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत ही रोमिला थापर से सीवी मांगा है। जेएनयू रजिस्टार प्रमोद कुमार ने 87 वर्षीय रोमिला थापर से पत्र और ईमेल लिखकर अगस्त 2019 में सीवी मांगा था। जेएनयू से रोमिला थापर 1970 में जुड़ी थीं। जेएनयू में बतौर इमेरिट्स प्रोफेसर रोमिला थापर 1993 से हैं।

जेएनयू मौजूदा नियमों के खिलाफ जाकर सीवी मांग रहा है: रोमिला थापर 

अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टूडे से बात करते हुये रोमिला थापर ने कहा है कि इमेरिट्स प्रोफेसर के लिए जेएनयू ने उसने सीवी मांगा है। लेकिन  जेएनयू मौजूदा नियमों के खिलाफ जाकर सीवी मांग रहा है। रोमिला थापर ने कहा, मुझे ये स्टेटस लाइफ टाइम के लिए दिया गया है। शायद जेएनयू ये भूल गया है। 

रोमिला थापर से सीवी मांगने की हो रही आलोचना 

रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। शिक्षकों और इतिहासकारों एक तबके का कहना है कि जेएनयू ने रोमिला थापर से सीवी मांगक प्रख्यात इतिहासकार का अपमान किया है।

जेएनयूएसयू के अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा है कि प्रोफेसर रोमिला थापर से सीवी मांगना उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा है। ये केन्द्र सरकार के बड़े एजेंडे का हिस्सा है जो अनुसंधान की गरिमा को नष्ट करना चाहते हैं। 

रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने पर वामपंथी और एनएसयूआई के छात्र प्रशासन के नाखुश हैं। आरएसएस से जुड़े छात्रों समूह एबीवीपी ने इसको लेकर कोई भी बयान जारी नहीं किया है। 

रोमिला थापर से सीवी मांगने पर जेएनयू ने कहा- हम नियमों का पालन कर रहे हैं

जेएनयू यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि उन्होंने रोमिला थापर को पत्र लिखकर सीवी नियमों के तहत ही मांगे हैं। यूनिवर्सिटी के मुताबिक, रोमिला थापर की उम्र 75 के पार है, ये सीवी सिर्फ इसलिए ताकी उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके। यह पत्र सिर्फ उन प्रोफेसर इमेरिट्स को लिखे गए हैं जो इस श्रेणी में आते हैं।

सीवी के जरिए यूनिवर्सिटी की ओर से गठित एक कमिटी संबंधित प्रोफेसर इमेरिटस के कार्यकाल में किए गए कार्यों का आकलन करती है। इसके बाद वह अपने सिफारिशें एग्जिक्युटिव काउंसिल को भेजती है, जो प्रोफेसर के सेवा विस्तार को लेकर फैसला लेती है। जेएनयू के एकेडमिक नियम संख्या 32(जी) की मानें तो 'इमेरिट्स प्रोफेसर की 75 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद उनकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी एग्जिक्युटिव काउंसिल रिव्यू करती है।
 

Web Title: Romila Thapar stick on decision to Not share CV with JNU

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