पटना, 26 अगस्त:बिहार की राजनीति में अब "खिचड़ी" की जगह "खीर" ने ले ली है। इसतरह इन दिनों की बिहार में इन दिनों की "खीर" राजनीति शुरू हो गई है। इसको लेकर सूबे की सियासत पारा भी चढ़ने लगा है। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी ने उपेंद्र कुशवाहा के स्वादिष्ट खीर भोज का स्वागत किया है।
तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि, "नि:संदेह उपेंद्र जी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरुरत है। पंचमेवा के स्वास्थवर्धक गुण ना केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी उर्जा देता है। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टकिता स्वाद और उर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।"
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) महत्वपूर्ण घटक है। उपेंद्र कुशवाहा इसी पार्टी के सुप्रीमो हैं।
दरअसल, शनिवार को बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने "खीर" बनाने की एक विधि बताई थी। उन्होंने कहा था कि यदुवंशी का दूध और कुशवंशी का चावल मिल जाये तो उत्तम खीर बन सकती है। उन्होंने कहा कि यहां काफी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं।
यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाये तो खीर बनने में देर नहीं लगेगी। लेकिन, यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जाति और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा। यही सामाजिक न्याय की असली परिभाषा है। ऐसे में सूबे के राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
इनमें केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बीपी मंडल की जयंती पर इशारे ही इशारे में एक बयान दिया है, जिससे उनके बारे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। एक बार फिर उनके राजद के साथ जाने के कयास लगाये जा रहे हैं।
चर्चा चलने लगी है कि उपेन्द्र कुशवाहा राजद के साथ जा सकते हैं, कारण कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच संबंध अच्छा नहीं रहा है। फिर कुशवाहा को भी लगता है कि नीतीश कुमार के साथ रहने से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना असंभव है। ऐसे में उन्होंने भी अपना दायरा बढ़ाते हुए खीर का स्वाद लेने की तैयारी शुरू कर दी है।