पटनाः बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष ने सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब तो विपक्ष मे चुनाव तक का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। राजद विधायक भाई बीरेन्द्र ने गुरुवार को कहा कि विपक्ष बिहार में चुनाव बहिष्कार कर सकता है। इसके पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटना में बुधवार की देर शाम कहा था कि विपक्ष विधानसभा चुनाव का बायकॉट कर सकता है। इसे लेकर महागठबंधन की सभी पार्टियों के बीच विचार करेंगे। यह जानने की कोशिश करेंगे कि जनता क्या चाहती है? भाई बीरेंद्र ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें कहीं न कहीं भाजपा की संलिप्तता है और चुनाव आयोग पूरी तरह से उसी दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर महागठबंधन फैसला करेगा कि भविष्य में क्या कदम उठाना है।
भाई बीरेन्द्र ने कहा कि हम लोग चुनाव का बहिष्कार भी कर सकते हैं। हमारे नेता ने कहा है कि किसी भी स्थिति में कुछ भी हो सकता है, इसलिए हम अब कोई भी समझौता नहीं करेंगे। इसबीच चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष सघन पुनरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
आयोग के अनुसार 7 लाख 50 हजार से भी अधिक लोगों ने एक से ज्यादा जगहों पर पहले से अपनी वोटर आईडी बनवा रखी है। अब तक 52 लाख 30 हजार से भी अधिक लोग अपने पते पर नहीं पाए गए हैं, जिनका नाम वोटर आईडी से कट सकता है। आयोग के अधिकारियों का दावा है कि बिहार में बड़ी तादाद में विदेशी हैं।
नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोग बड़ी संख्या में मिले हैं। आयोग के अधिकारियों के मुताबिक एक अगस्त के बाद ऐसे लोगों की जांच होगी। एसआईआर के तहत मतदाता सूची से 52 लाख मतदाताओं का नाम कटना तय माना जा रहा है। चुनाव आयोग ने एसआईआर के ताजा आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें 18 लाख 66 हजार 869 मतदाताओं के मृत होने की सूचना है।
26 लाख 11031 इसतरह के मतदाता हैं जो दूसरी जगह शिफ्त हो गए हैं। 11 हजार 484 इसतरह के मतदाता हैं, जिनका कोई पता नहीं है। अपने पते पर नहीं मिलने वाले इस तरह के मतदाता कुल 6.62 फीसदी हैं। कुल मतदाता 7.89,69,844 में 90 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं को गणना पपत्र मिल चुके हैं।
जिनकी संख्या 7,16.04102 है, वहीं 90.37 फीसदी यानी 7.13.65,460 रिवीजन फार्म ऑनलाइन जमा हो चुके हैं। सिर्फ 2.70 फीसदी लोगों के ही फार्म जमा नहीं हुए हैं। कुल 97.30 फीसदी मतदाता एसआईआर में कवर हुए हैं। बिहार में चल रहे एसआईआर में यह सुनिश्चित करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं कि सभी पात्र मतदाताओं को 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल किया जाए।
बिहार के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नियुक्त लगभग 1 लाख बीएलओ, 4 लाख स्वयंसेवक और 1.5 लाख बीएलए सहित पूरी चुनाव मशीनरी उन मतदाताओं की तलाश में एक साथ काम कर रही है। जिन्होंने अभी तक अपने गणना प्रपत्र (ईएफ) जमा नहीं किए हैं या अपने पते पर नहीं पाए गए हैं।