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पीएम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं कर सकते अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल- इलाहबाद हाईकोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 18, 2022 13:05 IST

इलाहबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी आजादी देता है लेकिन इस अधिकार का इस्तेमाल किसी भी नागरिक के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं हो सकता।

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ठळक मुद्देअभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली गलौज के लिए नहीं कर सकते। सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले याची की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज।कोर्ट ने मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पूरी आजादी दी है।

प्रयागराज: सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट शेयर करने को लेकर जौनपुर के मीरागंज थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार करते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी आजादी देता है पर इस अधिकार का प्रयोग किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली - गलौज या अपमानजनक टिप्पणी के लिए नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री या किसी मंत्री के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने न सिर्फ प्राथमिकी को रद्द करने से मना कर दिया बल्कि मामले को लेकर अधिकारियों को कार्रवाई करने को भी कहा। 

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

बता दें कि सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी  करने वाले याची  की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट का मानना है कि प्राथमिकी अपराध को अंजाम देने का खुलासा करती है इसलिए प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं बनता है। कोर्ट के मुताबिक न तो किसी नागरिक और ना ही देश के पीएम या किसी मंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल हो सकता है। 

पीएम और गृहमंत्री को लेकर की गई थी अपमानजनक टिप्पणी

बता दें कि ये मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य मंत्रियों को अपशब्द बोलने का है। मुमताज मंसूरी ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। 2020 में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 504 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था। याची ने प्राथमिकी के चुनौती देते हुएहाईकोर्ट का रूख किया और प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।

जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस राजेंद्र कुमार की बेंच ने कहा कि हमारा संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मान्यता देता है लेकिन इस तरह के अधिकार का विस्तार किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली - गलौज या अपमानजनक टिप्पणी करने तक नहीं है यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री या अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी नहीं है।

टॅग्स :Allahabad High Courtअमित शाहAmit Shah
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