Republic Day 2024: इस खास मौके पर जानिए उन महिलाओं के बारे में, जिन्होंने संविधान निर्माण में निभाई है अहम भूमिका
By आकाश चौरसिया | Published: January 25, 2024 02:35 PM2024-01-25T14:35:50+5:302024-01-25T14:57:30+5:30
भारत को संप्रभु राज्य बने करीब 75 साल हो गए हैं। लेकिन, इस बीच उन महिलाओं के बारे में किसी ने बात नहीं कि, जिन महिलाओं ने देश के संविधान निर्माण में अपना सहयोग दिया। इसलिए ऐसे में जानें वो महिलाएं कौन हैं, जिन्होंने संविधान सभा का सदस्य होते हुए दूसरे अन्य कार्यों को भी अंजाम दिया।
Republic Day Special: भारत को संप्रभु राज्य बने करीब 75 साल हो गए हैं। लेकिन, इस बीच उन महिलाओं के बारे में किसी ने बात नहीं कि, जिन महिलाओं ने देश के संविधान निर्माण में अपना सहयोग दिया। इसलिए ऐसे में जानें वो महिलाएं कौन हैं, जिन्होंने संविधान सभा का सदस्य होते हुए दूसरे अन्य कार्यों को भी अंजाम दिया। साथ ही ध्यान रखें, 26 जनवरी, 1950 को भारत में संविधान पूर्ण रूप से लागू हुआ था।
सबसे पहले राजकुमारी अमृत कौर की बात आती है, जो आजादी के बाद देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी और संविधान सभा जैसी महत्वपूर्ण कमेटी का हिस्सा भी रहीं। इसके अलावा ऑल इंडिया मेडिकल साइंस ऑफ एम्स जैसे बड़े संस्थान के बनने में उनका बड़ा योगदान है।
इस फेहरिस्त मे दूसरा नंबर सरोजनी नायडू का आता है, ये भी संविधान सभा का अहम हिस्सा रही हैं। वहीं, आजादी के बाद नायडू उत्तर प्रदेश की पहली महिला गर्वनर भी बनीं। सरोजनी नायडू पहली महिला थी, जिन्हें कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर आसीन होने का मौका मिला।
हंसा मेहता के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि उन्होंने संसद में महिलाओं के डायवोर्स जैसे बड़े अधिकार को उठाया। वो 1945-96 तक ऑल इंडिया महिला कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष भी रहीं। इसी वर्ष उन्हें संविधान सभा का सदस्य भी बनाया गया था। हंसा महिलाओं के मुद्दों पर अपनी बुलंद आवाज रखने के लिए जानी जाती थीं।
लीला रॉय पश्चिम बंगाल से सिर्फ एक महिला था, जिन्हें संविधान सभा में जगह मिली थी। उन्होंने कांग्रेस साल 1937 में ज्वॉइन की थी। इसके अलावा सुभाष चंद्र बोष की आजाद हिंद फौज के अंतर्गत आने वाले फॉरवर्ड ब्लॉक की भी सदस्य रही हैं।
#WATCH | For the first time in the history, women's contingent of the Delhi Police will be marching down the Kartavya Path during the Republic Day parade on January 26. pic.twitter.com/kUk1BGSz8T
— ANI (@ANI) January 24, 2024
मात्र 12 साल की उम्र में दुर्गाबाई देशमुख ने देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानी बन गईं। इसके अलावा गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन की भी हिस्सा रही हैं। उन्होंने आंध्र महिला सभा की भी स्थापना की, जो प्रमुखता से महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाता रहा है। साथ ही उन्होंने संविधान सभा का सदस्य रहते हुए ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन नाम के संगठन की भी नींव रखी, जो सिर्फ उन्हीं लोगों की बात करते तो जो चलते या देख पाने में अस्मर्थ थे।
#WATCH | Delhi: On the tri-services contingent parading at Kartavya Path on Republic Day, Captain Sharanya Rao from the Indian Army says, "... I am the supernumerary officer and will be leading the Army component of the tri-services contingent. It is a proud moment because, for… pic.twitter.com/Xfxmwub4Gh
— ANI (@ANI) January 20, 2024
सुचेता कृपलानी ने कांग्रेस की महिला विंग के संगठन को स्थापित किया। उन्होंने भारत छोड़ों आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री का कार्यभार संभाल, लेकिन साथ ही साथ संविधान सभा में भी अपनी बात रखने में सफल रही।