Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग वाली याचिका को अदालत ने किया स्वीकार

By रुस्तम राणा | Published: May 19, 2022 04:02 PM2022-05-19T16:02:31+5:302022-05-19T16:05:55+5:30

इस याचिका की स्वीकारोक्ति को लेकर पिछले करीब डेढ़ साल से जिला जज की अदालत में रिवीजन में सुनवाई चल रही थी जिसे गुरुवार को जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया है।

'Remove Mosque' Lawsuit Allowed In Mathura In Krishna Janmabhoomi Case | Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग वाली याचिका को अदालत ने किया स्वीकार

Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग वाली याचिका को अदालत ने किया स्वीकार

Highlightsआरोप- मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कृष्ण जन्मभूमि पर मस्जिद बनवाई गईइस याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांगइससे पहले अदालत मामले को कर चुकी है खारिज

मथुरा: काशी में चल रहे विवाद के बीच मथुरा में भी श्रीकृष्ण स्थान से शाही ईदगाह को हटाने की मांग वाली याचिका को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने स्वीकार कर लिया है। अब अदालत में इस मुकदमे का ट्रायल होगा। जिला जज अब किस कोर्ट को सुनवाई के लिए यह प्रकरण देंगे, अभी यह फैसला नहीं लिया गया है। वाद की स्वीकारोक्ति को लेकर पिछले करीब डेढ़ साल से जिला जज की अदालत में रिवीजन में सुनवाई चल रही थी जिसे गुरुवार को जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया है।

आरोप- औरंगजेब के आदेश पर कृष्ण जन्मभूमि पर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई

यह मुकदमा हिंदू संगठनों द्वारा कटरा केशव देव मंदिर से 17वीं शताब्दी की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग में से एक है, जिसमें दावा किया गया है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाई गई है। याचिकाओं में कहा गया है, 1669-70 में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर कृष्ण जन्मभूमि पर शाही ईदगाह मस्जिद को बनाया गया था। लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री ने यह याचिका दाखिल की है। 

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा

याचिकाकर्ता के वकील गोपाल खंडेलवाल की ओर से कहा गया कि “भगवान कृष्ण के उपासक के रूप में हमें उनकी संपत्ति की बहाली की मांग के लिए एक मुकदमा दायर करने का अधिकार है। मस्जिद को गलत तरीके से कृष्ण जन्मभूमि पर बनाया गया था। कई साल पहले संपत्ति के बंटवारे पर समझौता हुआ था, लेकिन वह समझौता अवैध था।

इससे पहले अदालत मामले को कर चुकी है खारिज

मथुरा की दीवानी अदालत ने पहले यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि इसे पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत स्वीकार नहीं किया जा सकता है, जो किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को 15 अगस्त, 1947 को बनाए रखता है। कोर्ट ने यह कहा था कि अगर यह मामला दर्ज हो जाता है तो बड़ी संख्या में उपासक विभिन्न मामलों में अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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