माफिया विधायक बृजेश सिंह को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से राहत, सिकरौरा हत्याकांड में आया अहम फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 20, 2023 08:40 PM2023-11-20T20:40:32+5:302023-11-20T20:42:38+5:30

अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किये गये सभी साक्ष्यों पर विचार करने के बाद निचली अदालत आरोपियों को बरी करने के निष्कर्ष पर पहुंची थी। निचली अदालत का विचार संभव एवं प्रशंसनीय विचारों में से एक है और इसे विकृत विचार नहीं कहा जा सकता।

Relief to Mafia MLA Brijesh Singh from Allahabad High Court important decision in Sikraura murder case | माफिया विधायक बृजेश सिंह को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से राहत, सिकरौरा हत्याकांड में आया अहम फैसला

माफिया विधायक बृजेश सिंह (फाइल फोटो)

Highlightsमाफिया विधायक बृजेश सिंह को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से राहतसिकरौरा हत्याकांड में आया अहम फैसला इस हत्याकांड में सात लोग मारे गए थे

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सिकरौरा हत्याकांड में माफिया विधायक बृजेश सिंह को बरी किए जाने के खिलाफ दायर आपराधिक अपीलों को सोमवार को खारिज कर दिया। इस हत्याकांड में सात लोग मारे गए थे। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद इन अपीलों को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, "अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किये गये सभी साक्ष्यों पर विचार करने के बाद निचली अदालत आरोपियों को बरी करने के निष्कर्ष पर पहुंची थी। निचली अदालत का विचार संभव एवं प्रशंसनीय विचारों में से एक है और इसे विकृत विचार नहीं कहा जा सकता।"

हालांकि उच्च न्यायालय ने चार आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर एक अन्य अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा, चार आरोपियों- पंचम सिंह, वकील सिंह, राकेश सिंह और देवेन्द्र प्रताप सिंह को बरी करने का निर्णय दरकिनार किया जाता है और इन्हें भादंसं की धाराओं 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी करार दिया जाता है और प्रत्येक पर 50,000 रुपये जुर्माने के साथ उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।” पीठ ने कहा, "रिकॉर्ड में उपलब्ध संपूर्ण साक्ष्य को देखने से यह स्पष्ट है कि निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा पेश साक्ष्य का लाभ देते हुए इन चार आरोपियों को गलत ढंग से बरी किया।" 

उच्च न्यायालय ने कहा, "जहां तक शेष जीवित आरोपियों- राम दास उर्फ दीना सिंह, कन्हैया सिंह, नरेंद्र सिंह, विजय सिंह, मुसाफिर सिंह का संबंध है, इन्हें हत्या का दोषी करार देने के लिए इनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इसलिए राज्य द्वारा इन आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील खारिज की जाती है।"

तथ्यों के मुताबिक, वर्तमान में चंदौली जिले में बलुआ पुलिस थानाक्षेत्र के सिकरौरा गांव में नौ अप्रैल, 1986 को एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। हमले में दो महिलाएं घायल हुई थीं। वाराणसी के अपर जिला न्यायाधीश ने 17 अगस्त, 2018 को इस मामले में बृजेश सिंह को बरी कर दिया था। सत्र न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ हीरावती नाम की एक महिला ने अपील दायर की थी। हीरावती इस मामले में गवाह थी। हीरावती के अलावा, राज्य सरकार की ओर से भी एक आपराधिक अपील दायर की गई थी।

अदालत ने कहा, "एफआईआर में हीरावती की शिकायत में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि उसने अपने बेटों की हत्या करते हुए आरोपी प्रतिवादियों को देखा था। लेकिन मुकदमे की सुनवाई के दौरान उसने कहा कि उसने आरोपी बृजेश सिंह को अपने बेटों की हत्या करते हुए देखा। मौजूदा आरोपी को झूठा फंसाये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।"

इस मामले में जांच के बाद 14 व्यक्तियों- पंचम सिंह, वकील सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, राकेश सिंह, बृजेश कुमार सिंह उर्फ वीरू सिंह, कन्हैया सिंह, बंस नारायण सिंह, राम दास सिंह उर्फ दीना सिंह, मुसाफिर सिंह, विनोद कुमार पांडेय, महेंद्र प्रताप सिंह, नरेंद्र सिंह, लोकनाथ सिंह और विजय सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।

Web Title: Relief to Mafia MLA Brijesh Singh from Allahabad High Court important decision in Sikraura murder case

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