चंद्रशेखर आजाद को राहत, दिल्ली आ सकते हैं भीम आर्मी चीफ, कोर्ट ने किया बदलाव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 21, 2020 04:35 PM2020-01-21T16:35:22+5:302020-01-21T17:46:41+5:30
दरियागंज हिंसा केस में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की जमानत की शर्तों में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने बदलाव किया है। कोर्ट ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद दिल्ली आ सकते हैं। लेकिन इसकी जानकारी डीसीपी क्राइम को देनी होगी।
दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने यहां जामा मस्जिद में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान लोगों को भड़काने के आरोपी, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मंगलवार को चिकित्सा और चुनाव के उद्देश्य से दिल्ली आने की इजाजत देते हुए उनसे कहा कि दिल्ली पुलिस को अपने यात्रा कार्यक्रम की जानकारी दें।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने आजाद की जमानत के आदेश में बदलाव करते हुए यह निर्देश दिये। उनके खिलाफ 20 दिसंबर को दरियागंज इलाके में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा के सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था।
साथ ही अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग से इस बात की पुष्टि करें और मंगलवार तक रिपोर्ट दें कि दिल्ली में आजाद का कार्यालय एक राजनीतिक दल का दफ्तर है या नहीं। अदालत आजाद द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपने जमानत आदेश की शर्तों में संशोधन का अनुरोध किया था।
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अपनी जमानत की शर्तों में बदलाव करने को लेकर शुक्रवार को दिल्ली की अदालत का रुख किया था। आज कोर्ट ने इनके पक्ष में फैसला सुनाया।
इस बीच, दरियागंज हिंसा केस में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की जमानत की शर्तों में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने बदलाव किया है। कोर्ट ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद दिल्ली आ सकते हैं। लेकिन इसकी जानकारी डीसीपी क्राइम को देनी होगी। अदालत ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को चिकित्सा, चुनाव उद्देश्यों से दिल्ली का दौरा करने की अनुमति दी, पुलिस को कार्यक्रम के बारे में सूचना देने के लिए कहा।
The court also tells him that when he comes to Delhi, he will reside at the given address. He will inform the DCP telephonically and send an email if he is not in Delhi or Saharanpur. https://t.co/ZXdygLWqib
— ANI (@ANI) January 21, 2020
आजाद के ऊपर यहां 20 दिसंबर को जामा मस्जिद के पास सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन में लोगों को भड़काने का आरोप है। अदालत ने आजाद के दिल्ली में आने पर चार हफ्तों की पाबंदी लगा दी थी और राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव होने तक उन्हें धरना प्रदर्शन न करने का आदेश देते हुए कहा था ‘‘देश को अराजकता की ओर नहीं ले जाया जा सकता।’’
वकील महमूद प्राचा और ओपी भारती द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि आजाद अपराधी नहीं हैं और दावा किया गया कि ये शर्तें गलत एवं अलोकतांत्रिक हैं। इससे पहले दिल्ली की ही एक अन्य अदालत ने कहा था कि सहारनपुर जाने से पहले अगर आजाद जामा मस्जिद सहित दिल्ली में कहीं जाना चाहते हैं तो पुलिस उनके साथ होगी।
न्यायाधीश ने कहा था कि विशेष परिस्थितियों के लिए विशेष शर्तें होती हैं। फैसला सुनाने के वक्त आजाद के वकील ने कहा था कि भीम आर्मी के प्रमुख के जान को उत्तर प्रदेश में खतरा है। उल्लेखनीय है कि आजाद के संगठन ने पुलिस की अनुमति के बिना संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ 20 दिसंबर को जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक मार्च निकालने का आह्वान किया था। इस मामले में गिरफ्तार अन्य 15 लोगों को अदालत ने नौ जनवरी को जमानत दे दी थी।