नई दिल्ली, 30 सितंबरःसुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर बलात्कार मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता समझौता करती है और आरोपी को बचाने के लिए बयान बदलती है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। रेप पीड़िता के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने 14 साल पुराने एक मामले की सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया। इस बेंच में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत में सुनवाई का उद्देश्य सच को सामने लाना और न्याय दिलाना है। आरोपी या पीड़िता को अनुमति नहीं दी जा सकती कि वो झूठ बोलकर क्रिमिनल ट्रायल पलट दे और न्याय व्यवस्था का मजाक बनाए।
14 साल पुराने मामले में फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के एक मामले में यह फैसला सुनाया है। उस वक्त पीड़िता महज 9 साल की थी। घटना की मुख्य गवाह पीड़िता की बड़ी बहन थी। उसी दिन पीड़िता का मेडिकल कराया जिसमें दुष्कर्म की बात सामने आई थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और पीड़िता ने शिनाख्त भी कर दी।
बयान से पलट गई पीड़िता
घटना के छह महीने बाद ही पीड़िता और मुख्य गवाह बलात्कार की बात से मुकर गई। उन्होंने कहा कि गिरने की वजह से चोट लगी है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। तमाम सबूतों के आधार हाई कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने के बाद कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़िता को बयान पलटने पर मजबूर किया गया। बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, 'अगर कोई न्यायिक प्रक्रिया को पलटने का प्रयास करता है कोर्ट चुप नहीं बैठेगा। अगर पीड़िता बयान बदलती है तो उसके खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाएगा। हालांकि यह मामला 14 साल पुराना है इसलिए पीड़िता को छोड़ा जा रहा है।'