पुरी, 18 मार्च: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भगवान जगन्नाथ नबकलेबर उत्सव के मौके पर रविवार को 10 रुपये और 1000 रुपये के स्मृति सिक्के जारी किए। ओडिशा की यात्रा कर रहे कोविंद ने यहां राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के शताब्दी समारोह के दौरान सिक्के जारी किए। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने तीर्थ नगरी पुरी को विद्या नगरी करार दिया क्योंकि प्राचीन काल से इसका संबंध ज्ञान और विज्ञान से है।
उन्होंने कहा कि पुरी हिन्दुओं के चार धामों में से एक है जहां की यात्रा आदि शंकराचार्य, रामानुज, चैतन्य और गुरू नानक जैसे संतों और धार्मिक नेताओं ने की थी और भगवान जगन्नाथ की सेवा करने के लिए अपने मठ स्थापित किए।
उन्होंने कहा, 'पुरी को भारत के पूर्वी क्षेत्र का काशी भी कहा जाता है। आदि शंकराचार्य ने अपनी पीठ स्थापित करने के लिए पुरी को चुना। रामानुजाचार्य, माधवाचार्य और निम्बार्काचार्य ने यहां की यात्रा की थी। ऐसा बताया जाता है कि गुरू नानक, संत कबीर और चैतन्य महाप्रभु ने भी यहां की यात्राएं की थी। पुरी विभिन्न विचारधाराओं और धर्म के मानने वालों का समन्वित स्थान है।'
भगवान जगन्नाथ मंदिर को कला एवं संस्कृति का केंद्र बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों के दिलों में भगवान की रथ यात्रा के लिए अहम स्थान है।
उन्होंने कहा, 'मैं रथ यात्रा की परंपरा से प्रभावित हूं जब भगवान जगन्नाथ भक्तों के लिए मंदिर से बाहर आते हैं। जाति और धर्म की परवाह किए बिना सभी भक्त कार्यक्रम के गवाह बनते हैं और हिस्सा लेते हैं। यह उत्सव समानता, शांति, सद्भाव, प्रगति, सार्वभौमिक भाईचारे के मूल्यों को मजबूती देता है। यह श्रम के मूल्यों और रचियता के महत्व को भी बताता है क्योंकि गजपति महाराज उत्सव के दौरान रथ को खींचता है।'
संस्कृत की अहमियत को स्वीकार करते हुए कोविंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य का ताल्लुक केरल से था और उनकी मातृ भाषा मलयालम थी, लेकिन उन्होंने संस्कृत सीखी और उन्होंने देश के चार धामों पर उत्तराखंड, पुरी, द्वारका और रामेश्वरम में चार पीठों की स्थापना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनके पिता ने नौ अक्तूबर1947 को पुरी मंदिर में दर्शन किए थे, तब वह आठ- नौ साल के थे। प्रथम महिला सविता कोविंद, ओडिशा के राज्यपाल एससी जमीर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जुआल ओराम, ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री अनंत दास समेत अन्य ने समारोह में हिस्सा लिया। इससे पहले राष्ट्रपति ने12 वीं सदी के भगवान जगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए थे।