2.77 एकड़ के मालिक हुए श्रीरामलला विराजमान, अयोध्या में सुरक्षा बेहद कड़ी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 2, 2020 05:58 AM2020-08-02T05:58:28+5:302020-08-02T05:58:28+5:30
2.77 एकड़ के साथ जन्मभूमि परिसर की पूरी 70 एकड़ भूमि श्रीरामजन्म भूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की हो गई है.
त्रियुगनारायन तिवारी।
श्रीरामलला विराजमान अब सरकारी दस्तावेजों में उस 2.77 एकड़ की जमीन के मालिक हो गए हैं जिसे लेकर लंबे समय तक न्यायलय में केस चला. अयोध्या जिला प्रशासन ने राजस्व गाटा संख्या 159 व 160 व नजूल गाटा संख्या 583 के भूमि के स्वामी के तौर पर श्रीरामलला विराजमान दर्ज कर लिया है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार यह प्रक्रिया पहले से चल रही थी. राजस्व दस्तावेजों की अपनी प्रक्रिया है. जिसके बाद ही मालिकाना हक दर्ज किया जाता है. इसे दस्तावेजों में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के रूप में दर्ज किया गया है.
न्यास को सौंपी संपत्ति केन्द्र सरकार ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का गठन 5 फरवरी को किया. इसी दिन अयोध्या के कमीश्नर ने न्यास के सदस्य विमलेंद्र मोहन मिश्र को अयोध्या एक्ट से अधिगृहित भूमि, भवन व श्रीरामलला विराजमान को दर्शनार्थियों द्वारा अर्पित बचत खाते में मौजूद 2.81 करोड़ व फिक्स डिपॉजिट के रूप में 8.75 लाख से अधिक धनराशि व राजकीय कोषागार अयोध्या में रखा गया 230.42 ग्राम सोना 5019.98 ग्राम चांदी का कोष भी सौंप दिया गया है.
प्रशासन बहा रहा पसीना
5 अगस्त को शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के मद्देनजर पूरा प्रशासन व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में जुट गया है. घाट पर लगी चौकियां, छप्पर सब कुछ हटा दिए गए हैं. कई स्थानों पर मरम्मत भी की गई है. कुल मिलाकर कहें तो घाट पर रंगाई-पुताई का काम पूरे जोरों पर है.
अदालत का आदेश
अयोध्या विवाद पर पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने अपने आदेश में श्रीरामलला विराजमान को 2.77 एकड की भूमि का स्वामी माना था. इस भूमि के साथ इसके आसपास की 67.2 एकड़ भूमि को श्रीराम जन्मभूमि के नाम से ट्रस्ट बनाकर उसे सौंपने का आदेश दिया था. 65 एकड़ की जमीन का बड़ा हिस्सा 1991 में उप्र की कल्याण सिंह सरकार ने मुआवजा देकर अधिगृहित किया था. जबकि कुछ जमीनें श्रीरामजन्मभूमि न्यास ने मठों व मंदिरों से खरीदी थी.
इस पूरी 67.2 एकड़ जमीन को 1992 में केंद्र सरकार ने अयोध्या एक्ट बनाकर अधिगृहित कर, अयोध्या के कमीश्नर को रिसीवर बना दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस पूरी भूमि को नए ट्रस्ट को सौंपने का निर्देश दिया था.