लखनऊः कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस घातक वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए देश को 17 मई तक के लिए लॉकडाउन किया गया है। इस दौरान लोगों से घरों में ही रहने के लगातार अपील की जा रही है। वहीं, इस समय रमजान का पवित्र महीना चल रहा है और लगातार इमाम मुसलमान समुदाय के लोगों से घरों में ही नमाज अदा करने और कोरोना वायरस के कारण मस्जिदों में इकट्ठा नहीं होने की अपील कर रहे हैं।
लॉकडाउन को देखते हुए रविवार को लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि हम लोग ईद जरूर मनाएं लेकिन सादगी के साथ। ईद के दिन हम घर में पकवान बनाएं लेकिन कोशिश करें कि ईद का जो बजट है उसका 50% गरीब लोगों में बांटे। हम लोग नए कपड़े न बनाएं बल्कि जो सबसे अच्छे कपड़े हैं उन्हें पहनकर ईद की नमाज़ पढ़ें।
इससे पहले बंगाल इमाम संगठन के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने कहा था कि सभी मस्जिद समितियों से कहा गया है कि वे मुस्लिम समुदाय के लोगों को बताएं कि मस्जिदों में भीड़ नहीं लगानी है और घरों में ही नमाज अदा करनी है। इस संबंध में सरकार ने जो भी परामर्श जारी किए हैं, उनका पालन किया जाना चाहिए।
वहीं, देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी रमजान के पवित्र महीने में लॉकडाउन के मद्देनजर मुस्लिम समुदाय के लोगों से घर पर इबादत और इफ्तार करने की अपील की थी।
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा था कि लोग इस बार अपने घर पर इबादत करें। इस्लामी कैलेंडर के रमजान महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। वे भोर के समय से लेकर सूर्यास्त के बीच कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं। रमजान के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है।