रामविलास पासवान जयंतीः चिराग और पशुपति कुमार पारस ने किया शक्ति प्रदर्शन, आशीर्वाद यात्रा शुरू

By एस पी सिन्हा | Updated: July 5, 2021 19:07 IST2021-07-05T19:06:15+5:302021-07-05T19:07:57+5:30

रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति कुमार पारस दोनों ने आज जयंती के बहाने यह जताने की कोशिश की है कि लोजपा की कुर्सी के असली हकदार वहीं हैं.

ram vilas paswan birth anniversary son chirag paswan brother pasupati kumar paras show strength Ashirvad Yatra | रामविलास पासवान जयंतीः चिराग और पशुपति कुमार पारस ने किया शक्ति प्रदर्शन, आशीर्वाद यात्रा शुरू

चिराग पासवान को पटना में अंबेडकर मूर्ति पर माल्यार्पण करने नहीं दिया गया. (photo-ani)

Highlightsचिराग पासवान ने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ जंग का ऐलान कर दिया. चिराग ने आज से आशीर्वाद यात्रा शुरू किया. आशीर्वाद यात्रा से पहले पटना पहुंचे चिराग ने धरना भी दिया.

पटनाः लोजपा के संस्थापक व पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का असली वारिस होने का हक जताने की कोशिश आज लड़ाई में तब्‍दील हो गई.

रामविलास पासवान के निधन के बाद दो फाड़ हुई, उनकी पार्टी लोजपा के दोनों गुटों ने अपने-अपने तरीके से उनकी पहली जयंती मनाई. दोनों गुट के नेताओं ने इस बहाने अपने समर्थकों की ताकत भी दिखाई. साथ ही भावनाओं के उभार में डूबकर खुद को स्व. रामविलास पासवान का असली राजनीतिक वारिस होने का दावा भी किया. 

रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति कुमार पारस दोनों ने आज जयंती के बहाने यह जताने की कोशिश की है कि लोजपा की कुर्सी के असली हकदार वहीं हैं. आज जयंती के मौके पर चिराग पासवान ने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ जंग का ऐलान कर दिया. चिराग ने आज से आशीर्वाद यात्रा शुरू किया. वहीं आशीर्वाद यात्रा से पहले पटना पहुंचे चिराग ने धरना भी दिया.

दरअसल, चिराग पासवान को पटना में अंबेडकर मूर्ति पर माल्यार्पण करने नहीं दिया गया. यहां गेट पर ताला लगा हुआ था. इससे नाराज होकर वह धरने पर बैठ गये. इस दौरान उन्होंने अपने चाचा पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने आगे कहा कि बिहार के लोग ही मेरी ताकत हैं, आज मैं और मेरी मां अकेले हैं. काश हमारे चाचा साथ खडे़ होते, लेकिन वो नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि एक परिवार ने हमें धोखा दे दिया, लेकिन दूसरा परिवार हमारे साथ है. हम आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं, जो पूरे बिहार को कवर करेगी ये सिर्फ लोगों का आशीर्वाद लेने के लिए है, ना कि ताकत दिखाने के लिए. चिराग ने वैशाली जिले के सुल्तानपुर गांव से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की. यह गांव हाजीपुर के पासवान चौक से समस्तीपुर जाने वाली रोड में है.

दरअसल, इस गांव को चुनने की वजह यह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान को यह गांव काफी पसंद था. 1977 में जब उन्होंने अपनी संसदीय राजनीति की शुरुआत की थी तो पहला कदम भी इसी गांव से बढ़ाया था. केंद्र में सरकार किसी भी गठबंधन की हो, उस सरकार में रामविलास पासवान किसी न किसी विभाग के मंत्री होते ही थे.

जानकार बताते हैं कि इस गांव को पासवान ने 2007 में गोद लिया जब वो केंद्र में इस्पात मंत्री थे. उस वक्त सांसद निधि कोष और ’सेल’ की मदद से गांव के एंट्रेंस प्वाइंट पर स्टील का गेट लगवाया, गांव में सोलर लाइट लगवाई. गांव के हर घर के बाहर पानी की व्यवस्था की, चापाकल लगवाए. महिलाओं का ख्याल रखते हुए हर घर में शौचालय का निर्माण करवाया.

इस गांव में 1400 घर है, करीब तीन हजार की आबादी है. सारे घर और सारी आबादी सिर्फ पासवान जाति के लोगों की है. रामविलास जब भी इस रूट से गुजरते थे, तब वह इस गांव में जरूर आते थे और लोगों से मिलते थे. उनसे बात करते थे. जब बात रामविलास पासवान की पहली जयंती मनाने की हुई तो लोजपा ने काफी मंथन के बाद हाजीपुर के इस गांव को चुना, जिस पर चिराग पासवान ने अपनी सहमति जताई.

वहीं दूसरी तरफ हाजीपुर के सुल्तानपुर में आशीर्वाद यात्रा के सभास्थल पर भारी बवाल हो गया. कुर्सी को लेकर कार्यकर्ता आपस में भिड़ गये. बात इतनी बढ़ी की मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गई. सभास्थल को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया. अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया था. मौके पर पहुंची प्रशासन और पुलिस टीम ने सारी कुर्सियां हटवा दी. वहीं बताया जा रहा है कि प्रशासन ने यात्रा की इजाजत नहीं दी है. बावजूद इसके वह यात्रा निकालने पर अडे़ हुए हैं.

 

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