राकेश अस्थाना मामला: हम आदेश जारी करते हैं और सीबीआई ने आदेश का पालन नहीं किया, निदेशक हाजिर हो
By भाषा | Published: January 8, 2020 08:01 PM2020-01-08T20:01:38+5:302020-01-08T20:02:03+5:30
पिछले साल नौ अक्टूबर 2019 को दो और महीने देते हुए अदालत ने कहा था कि जांच में अनिश्चितकाल तक देरी नहीं हो सकती है और यह पूरी होनी चाहिए। अदालत ने 31 मई 2019 को जांच के लिए एजेंसी को चार और महीने का वक्त दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सीबीआई को पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़े रिश्वत के कथित मामले की जांच पूरी करने में नाकाम रहने पर 10 फरवरी को जांच एजेंसी के निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने मामले में अदालत के कई आदेश जारी होने के बावजूद समय से अपनी छानबीन पूरी नहीं करने और जांच पूरी करने के लिए लगातार समय बढ़ाने की मांग को लेकर सीबीआई को फटकार भी लगायी।
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘हम इस तरह नहीं चल सकते। हम कई आदेश जारी कर चुके हैं। अगर आपने (सीबीआई) आदेश का पालन नहीं किया तो अब आप देखेंगे कि क्या परिणाम होता है। जांच पूरी करने के लिए आपको समय दिया गया था, इसके कुछ मायने होते हैं।’’ अदालत ने सीबीआई की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
इस याचिका में जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की गयी थी। सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने मुहरबंद लिफाफे में स्थिति रिपोर्ट सौंपी और जांच पूरी करने के लिए समय की मांग की। अस्थाना की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अदालत सीबीआई को समय दे सकती है, लेकिन केवल इस शर्त पर कि अगर निर्धारित अवधि में एजेंसी जांच पूरी करने में नाकाम रहती है तो उसके निदेशक को कारण बताने के लिए अदालत में पेश होना पड़ेगा।
सीबीआई ने पिछले महीने अदालत को बताया था कि उसे मामले में जांच पूरी करने के लिए और समय चाहिए। एजेंसी ने कहा था कि छानबीन के आठ चरण होते हैं। इसमें चार पूरे हो चुके हैं। उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी 2019 को सीबीआई को छानबीन पूरी करने के लिए 10 हफ्ते का समय दिया था।
पिछले साल नौ अक्टूबर 2019 को दो और महीने देते हुए अदालत ने कहा था कि जांच में अनिश्चितकाल तक देरी नहीं हो सकती है और यह पूरी होनी चाहिए। अदालत ने 31 मई 2019 को जांच के लिए एजेंसी को चार और महीने का वक्त दिया।
अस्थाना, एजेंसी के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार और कारोबारी मनोज प्रसाद पर भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार और आपराधिक कदाचार के आरोपों पर मामला दर्ज किया गया था। मांस निर्यात कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में पूर्व में जांच अधिकारी कुमार को हैदरबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना के बयान दर्ज करने में फर्जीवाड़े के आरोपों पर गिरफ्तार किया गया था। सना ने मामले में राहत पाने के लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी।