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राज्यसभा में उठी एक नई मांग, सांसदों ने कहा- चेन्नई में सुप्रीम कोर्ट की पीठ करनी चाहिए स्थापित, लोगों को होती है समस्या

By भाषा | Updated: November 27, 2019 15:41 IST

वाइको ने कहा कि उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है और दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों को उच्च न्यायालयों के फैसलों को आवश्यकता के अनुसार, उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए दिल्ली आना पड़ता है। यहां आने, ठहरने पर होने वाला खर्च और भाषा की दिक्कत तथा अन्य समस्याएं होती हैं।

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ठळक मुद्देदक्षिण भारतीय राज्यों का कहना है कि उनको उच्च न्यायालयों के फैसलों को आवश्यकता पड़ने पर उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के समय होने वाली कठिनाइयां होती हैं।राज्यसभा में बुधवार को कई सदस्यों ने चेन्नई में सर्वोच्च अदालत की पीठ स्थापित किए जाने की मांग की।

दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों को, उच्च न्यायालयों के फैसलों को आवश्यकता पड़ने पर उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के समय होने वाली कठिनाइयों की ओर ध्यान दिलाते हुए राज्यसभा में बुधवार को कई सदस्यों ने चेन्नई में सर्वोच्च अदालत की पीठ स्थापित किए जाने की मांग की। शून्यकाल में एमडीएमके सदस्य वाइको ने चेन्नई में उच्चतम न्यायालय की पीठ स्थापित किए जाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा होने पर खुद उच्चतम न्यायालय का ही बोझ कम होगा।

वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में 54,013 मामले लंबित हैं। वाइको ने कहा कि उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है और दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों को उच्च न्यायालयों के फैसलों को आवश्यकता के अनुसार, उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए दिल्ली आना पड़ता है। यहां आने, ठहरने पर होने वाला खर्च और भाषा की दिक्कत तथा अन्य समस्याएं होती हैं।

उन्होंने कहा कि इन समस्याओं से राहत मिल सकती है अगर चेन्नई में उच्चतम न्यायालय की एक पीठ स्थापित कर दी जाए। द्रमुक के पी विल्सन ने कहा कि पूर्व में स्थायी संसदीय समितियां उच्चतम न्यायालय के क्षेत्रीय पीठ स्थापित किए जाने की सिफारिश कर चुकी हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली आने, ठहरने पर होने वाला खर्च और भाषा की दिक्कत तथा अन्य समस्याओं के कारण वही लोग उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं जो इनका सामना कर सकते हैं। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। इनमें से ज्यादातर सदस्य दक्षिण भारतीय राज्यों के थे।

शून्यकाल में भाजपा के डी पी वत्स ने मांग की सांसद क्षेत्रीय विकास निधि (एमपीलैड) के तहत पांच करोड़ रुपये की किस्त सालाना जारी की जानी चाहिए और इसके लिए कोष की उपयोगिता संबंधी प्रमाणपत्र की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।

वत्स ने कहा कि कोष जारी करने में दो से तीन साल का समय लग जाता है क्योंकि पहले अनुमान तैयार किया जाता है, फिर उसे मंजूरी दी जाती है और उसके बाद काम पूरा होता है। इसके पश्चात राशि जारी की जाती है। इस पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने जानना चाहा कि अगर धन राशि जारी कर दी जाए और उसका उपयोग न हो पाए, वह राशि बैंक में पड़ी रहे तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। 

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