राज्यसभा उपचुनावः रामविलास की पत्नी रीना पासवान को टिकट नहीं, सुशील मोदी, शाहनवाज हुसैन और रितुराज सिन्हा दौड़ में
By एस पी सिन्हा | Published: November 24, 2020 08:14 PM2020-11-24T20:14:48+5:302020-11-24T20:16:54+5:30
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार को सीधे टारगेट किया, इससे दोनों ही दलों के बीच तल्खी साफ दिख रही है.
पटनाः पूर्व केन्द्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुए राज्यसभा की एक सीट के लिए होने जा रहे उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 26 नवंबर से शुरू होगी.
पटना प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय में नामांकन होगा. इसके लिए मतदान 14 दिसंबर को अपराह्न तीन बजे तक होगा. उसी दिन शाम पांच के बाद मतगणना होगी. इस सीट के लिए रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान का नाम चर्चा में है, लेकिन उनका राज्यसभा जाना इतना आसान नहीं दिख रहा है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे के दौरान समझौते के तहत भाजपा ने अपने कोटे से पासवान को राज्यसभा भेजा था. ऐसे में इस सीट पर लोजपा की फिर नजर है. रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान के लिए लोजपा को इस सीट की दरकार है. केंद्र में भाजपा की सहयोगी लोजपा की मांग को बिहार में पूरा करना अब भाजपा के लिए आसान नहीं है.
चिराग पासवान का बिहार में राजग के साथ न तो अब पहले की तरह संबंध रहा
इसकी वजह है कि चिराग पासवान का बिहार में राजग के साथ न तो अब पहले की तरह संबंध रहा और न ही सरोकार. विधानसभा चुनाव में लोजपा की ओर से जदयू के साथ जो व्यवहार किया गया, उसकी प्रतिक्रिया तो होनी ही है. इस तरह से हाल के राजनीतिक समीकरण उनकी राह को मुश्किल बना दिया.
ऐसे में माना जा रहा है कि लोजपा को यह सीट इस बार गंवानी पड़ सकती है और भाजपा इस सीट पर अपना उम्मीदवार दे सकती है. राजनीति गलियारे में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि राजग अगर रीना पासवान को उम्मीदवार नहीं बनाता है तो महागठबंधन के 110 विधायक उनको समर्थन दे सकते हैं. चुनाव जीतने के लिए 122 वोट की जरूरत है. ऐसे में लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान भाजपा को छोड़कर महागठबंधन के साथ जाने को शायद ही तैयार हो. लेकिन राजग में उनकी मां की जदयू राह मुश्किल ने कर दी है.
किसी भी गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत का होना जरूरी
इसतरह से इस एकमात्र सीट को निकालने के लिए किसी भी गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत का होना जरूरी है. अगर विपक्ष की ओर से भी प्रत्याशी खड़ा कर दिया जाता है तो 243 सदस्यीय विधानसभा में जीत उसी की हो सकती है, जिसे प्रथम वरीयता के कम से कम से कम 122 वोट मिलेंगे. हालत यह है कि कोई भी दल अकेले इस अंक के आसपास भी नहीं है.
ऐसे में गठबंधन के सहयोगी दलों का साथ जरूरी है. भाजपा को अपने कोटे की इस सीट को बचाने के लिए जदयू की मदद की दरकार होगी. ऐसी स्थिति में कोई ऐसा प्रत्याशी ही जीत का हकदार हो सकता है, जिसे राजग के सभी चारों घटक दल पसंद कर सकें. जदयू से लोजपा के रिश्ते को देखते हुए तय माना जा रहा कि चिराग पासवान की मुराद पूरी नहीं हो सकती है.
चिराग और नीतीश के बीच के रिश्ते मधुर होंगे इसकी संभावना कम
जदयू पर विधानसभा के दौरान चिराग ने जो हमले किये, उसको लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद अब मनभेद तक जा पहुंचा है. ऐसे में चिराग और नीतीश के बीच के रिश्ते मधुर होंगे इसकी संभावना कम है. वहीं, लोजपा के प्रति अगर भाजपा नरम भी हो तो भाजपा कोई ऐसा कदम नहीं उठानेवाली है, जिससे भाजपा और जदयू के रिश्ते असहज हो जाये.
ऐसे में जानकारों का कहना है कि परिस्थिति ऐसी बन रही है, जिसमें लग रहा है कि भाजपा राज्यसभा की इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार देगी. भाजपा सूत्रों की मानें तो कुछ नामों पर विचार संभव है. माना जा रहा है कि सुशील मोदी को राज्यसभा भेजा जा सकता है. सुशील मोदी के अलावा भाजपा के पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन और पूर्व सांसद आरके सिन्हा के पुत्र कारोबारी रितुराज सिन्हा का नाम भी चर्चा में है. अब देखना है कि भाजपा क्या फैसला करती है?